अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा चीन, पूर्वी लद्दाख में हुआ…, भारी संख्या में नजर आई सेना और…

पैंगोंग झील लद्दाख में भारत-चीन सीमा क्षेत्र पर 4350 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है, ये 134 किलोमीटर लंबी है और लद्दाख से तिब्बत तक फैली हुई है. इस झील का 45 किलोमीटर का हिस्सा भारत में है, जबकि 90 किलोमीटर के क़रीब हिस्सा चीनी क्षेत्र में मौजूद है.

 

ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि 5 और 6 मई को पैंगोंग त्सो में भारत और चीन की सेना के बीच में झड़प हुई थी. चीनी पक्ष ने कुगरांग नाला, गोगरा और पंगोंग झील के उत्तरी तट पर 17-18 मई, 2020 को घुसपैठ की थी.

यह बात रक्षा मंत्रालय ने जून में हुईं प्रमुख गतिविधियों को लेकर जारी किए गए दस्तावेजों में कही. इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने अपने दस्तावेजों में कहा कि चीन का साथ भारत का सीमा विवाद लंबा चल सकता है.

सेना पूरी तरह से सतर्क थी, क्योंकि चीन बार-बार पैंगोंग त्सो में अपनी गतिविधियों को कम नहीं कर रहा था. सेटेलाइट में PLA के टेंट दिखाई दिए थे.

चीन बातचीत के बावजूद पैंगोंग में फिंगर 4 और 5 से नहीं हट रहा था. पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की मौजूदगी के चलते भारतीय सेना ने पूरी तैयारी कर रखी थी.

गलवान संघर्ष (Galwan Face-off) के बाद अब पैंगोंग में 29 और 30 अगस्त की रात पीएलए के सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन एक बार फिर भारतीय सैनिकों ने तगड़ा जवाब दिया है.

पैगोंग में चीनी सैनिकों ने सीमा पार करने की कोशिश की थी, जिस पर सतर्क भारतीय सैनिकों ने उन्हें पीछे धकेल दिया. 15 जून की रात गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद LAC पर ये दूसरी बड़ी घटना है.