16 अक्तूबर तक नहीं होंगे कोई शुभ कार्य, जानिए क्या है वजह

भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है. अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है.

इसका आगमन सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है. भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है.

दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है. इसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का नाम दिया गया है.

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष में एक अतिरिक्त माह होता है, जिसे अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास कहते है. हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है. हिंदू धर्मपरायण के मानने वाले लोग इस पूरे मास में पूजा-पाठ, भगवद् भक्ति, व्रत-उपवास, जप और योग आदि धार्मिक कार्य करते है.

इस वर्ष मलमास के कारण 165 साल बाद दो आश्विन मास होंगे, जिसमें 18 सितंबर से 16 अक्तूबर तक मलमास रहेगा. बता दें कि प्रत्येक 32 महीने और 16 दिन के बाद मलमास पड़ता है. इसमें सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में जाने पर संक्रांति होती है. ऐसे में 18 सितंबर से 16 अक्तूबर तक शुभ कार्य वर्जित रहेंगे.