अगले हफ्ते भारत और चीन के बीच हो सकता है ये, हथियारों के साथ सेना तैनात

सेना ने कहा था कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने के लिए सहमत हैं, और जितनी जल्दी हो सके फोर्स कम करने पर राजी हो जाएंगे.

30 अगस्त को, भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित महत्वपूर्ण पहाड़ी ऊंचाइयों — रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबोप पर कब्जा कर लिया था, जो तब तक मानव रहित थे. भारत ने ब्लैकटॉप के पास कुछ फोर्स की तैनाती भी की है.

अब इन चोटियों पर कब्जे से भारत, चीनी नियंत्रण वाले स्पंगुर दर्रे और मोल्डो गैरिसन पर नजर रख सकता है. भारत और चीन के बीच सीमा पर पिछले छह महीने से गतिरोध बना हुआ है. कई स्तरों की बातचीत के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है.

इससे पहले दोनों देशों के सैन्य कमांडरों ने भारत-चीन सीमा पर छह महीने से चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए सात बार मुलाकात की थी. अंतिम बैठक 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें भी कोई फैसला नहीं निकल पाया था.

बैठक के बाद, भारतीय सेना ने एक बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फोर्स की तैनाती कम करने को लेकर रचनात्मक बातचीत की.

रिपोर्ट के मुताबिक सूत्र ने बताया, ‘चीन भारत की स्थिति की बहाली के लिए भारत की मांग को मानने का कोई इरादा नहीं रखता है. वो एलएसी में यथास्थिति बरकरार रखने की पूरी कोशिश करेगा.

हालांकि, दूसरी तरफ से महसूस किया गया है कि चीन कुछ फ्रिक्शन पॉइंट (विवाद वाले इलाकों) पर सैनिक पीछे भेजने को तैयार है. अगले कोर कमांडर स्तर की वार्ता की तारीख अभी तक निर्धारित नहीं की गई है.’

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मई से तनाव जारी है. इस बीच सैन्य प्रतिनिधि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अगले हफ्ते आठवीं बार बातचीत करेंगे.

इससे पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर फोर्स की तैनाती कम करने के मुद्दे पर सभी दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी. अब सर्दियां भी आ गई हैं और सैनिकों को शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान में वहां रहना पड़ रहा है. इस बार लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के मेनन भारत की ओर से बातचीत का नेतृत्व करेंगे.

जबकि विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहेंगे. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी.

खबर के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि अगले दौर की बातचीत काफी हद तक पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण के किनारों पर दोनों ओर से सैनिकों की टुकड़ी को पीछे वापस भेजने को लेकर हो सकती है.

यहां मई से ही दोनों देशों की सैनिकों के बीच टकराव बना हुआ है. ये इलाका भारत के हिस्से में आता है, मगर चीनी सैनिक यहां से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.