मायावती ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना , कह डाली ये बात

2021 में जाति जनगणना को प्रभावी ढंग से खारिज करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इस तरह की कवायद व्यावहारिक नहीं होगी और किसी भी अन्य जाति के बारे में जानकारी का बहिष्कार, एससी और एसटी के अलावा, जनगणना के दायरे से एक सचेत नीति निर्णय है। इसको लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा, ”केंद्र सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना कराने से साफ तौर पर इनकार कर देना यह अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय, जो भाजपा के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश व इनकी कथनी व करनी में अन्तर को उजागर करता है। सजगता जरूरी।”

बसपा प्रमुख ने कहा, ”एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की मांग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है, लेकिन केन्द्र का इससे साफ इनकरा पूरे समाज को उसी प्रकार से दुःखी व इनके भविष्य को आघात पहुंचाने वाला है, जैसे नौकरियों में इनके बैकलॉग को न भरने से लगातार हो रहा है।”

इससे पहले महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2021 की गणना में जनगणना विभाग को पिछड़े वर्ग के नागरिकों (बीसीसी) पर जानकारी एकत्र करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका के जवाब में शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में सामाजिक न्याय मंत्रालय का यह प्रमुख प्रस्तुतीकरण था।

केंद्र ने अदालत को बताया कि जनगणना में जाति-वार गणना 1951 से नीति के एक मामले के रूप में छोड़ दी गई है और इस प्रकार एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों को 1951 से आज तक किसी भी जनगणना में शामिल नहीं किया गया है।

इसके हलफनामे में कहा गया है कि जब आजादी के बाद पहली बार 1951 की जनगणना की तैयारी चल रही थी, भारत सरकार ने जाति के आधिकारिक हतोत्साह की नीति पर फैसला किया था।