ममता बनर्जी पर लगा 5 लाख का जुर्माना,वजह जानकर उड़े लोगो के होश

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक याचिका पर आज हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है। मुख्यमंत्री ममता ने नंदीग्राम विधानसभा चुनाव के परिणाम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

सीएम के वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने दलीलें पेश की थी और हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सिंघवी ने कोर्ट में तर्क दिया कि सुनवाई में पक्षपात हो सकता है, क्योंकि उनके (जस्टिस चंदा) के बीजेपी नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध है। इस पूर्वाग्रह को लेकर याचिकाकर्ता के मन में शंका होगी।

याचिका में दावा किया गया कि न्यायमूर्ति चंदा 2015 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में अपनी नियुक्ति तक भाजपा के सक्रिय सदस्य थे और चूंकि भाजपा उम्मीदवार के चुनाव को चुनौती दी गई थी, इसलिए निर्णय में पूर्वाग्रह की आशंका थी।

न्यायमूर्ति चंदा ने कहा था कि वह कभी भी भाजपा कानूनी प्रकोष्ठ के संयोजक नहीं थे, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले कई मामलों में पेश हुए थे।बनर्जी के वकील ने पहले उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनकी चुनाव याचिका को दूसरी पीठ को सौंपने की मांग की थी।

हालांकि अब इस मामले से कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश कौशिक चंदा ने खुद को अलग कर लिया है। वहीं इसको अलग पीठ को सौंपने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को भेजा जाएगा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि ममता बनर्जी के बयान ने कोर्ट की छवि पर बुरा प्रभाव डाला है।

बता दें कि ममता बनर्जी ने न्यायमूर्ति कौशिक चंद्रा के भारतीय जनता पार्टी के साथ उनके कथित संबंधों को लेकर नंदीग्राम विधानसभा चुनाव के नतीजे को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई से अलग होने की मांग की थी।