मैगी खाकर कोरोना संकट में गुजारा कर रहे थे कोटा से लौटे छात्र-छात्रा, आपबीती बताते आँखों से छलका दर्द

स्पेशल ट्रेन से कोटा से आज बिहार लौटे छात्र-छात्राओं के चेहरे पर खुशी तो दिखी लेकिन इस दौरान कई छात्र-छात्राएं काफी भावुक भी नजर आईं. उनके दर्द को सुनकर सभी के रोंगटे खडे हो गये. उनकी व्यथा सुनकर सभी द्रवित हो गये.

मजबूरन मैगी वगैरह खाकर जीना पड रहा था. एक दूसरे छात्र सूरज सिंह ने कहा कि वो उन सभी लोगों आभारी हैं जिन्होंने छात्र-छात्राओं का बाहर निकालने का निर्णय लिया. रेल किराया के सवाल पर इन छात्र-छात्राओं ने कहा कि उन्हें किसी तरह का किराया नहीं देना पडा है. सरकार ने ही किराया की राशी वहन किया है.

कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों ने राहत की सांस ली है. कोरोना के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद, कोटा में मेस बंद होने और बच्चों के पैसे खत्म हो जाने के बीच कोरोना संक्रमित मरीजों की बढती संख्या के साथ भूख ने उन्हें मौत के करीब ले जा रहा था. लेकिन मैगी के सहारे वे लोग अपनी जिन्दगी बचाते रहे.