जानिए होली में लोग क्यों लगाते है लाल रंग, हरा है प्रकृति का प्रतीक

यह प्रेम, दोस्ती, स्नेह, शांति, परिपूर्णता का रंग है। प्रेम, स्नेह, दोस्ती से जीवन में उत्साह-उमंग का संचार होता है। सतर्कता, रचनात्मकता का प्रतीक है।

सतर्कता मतलब अपने काम का विवेकपूर्वक निरीक्षण। जो भी काम करें वह सतर्कता से करें, उसमें रचनात्मकता हो। यह रंग नकारात्मक विचारों को खत्म करता है। हमें अपने विचार सकारात्मक बनाना चाहिए।

ये रंग शांति, समर्पण, प्रेरणा, चिंतन-मनन का प्रतीक है। हमारे अंदर जब ये गुण आते हैं तो व्यक्तित्व उभरता है। अध्यात्म, बुद्धिमानी का प्रतीक रंग है। अध्यात्म हमें ज्ञान की ओर ले जाता है।

ज्ञान से बुद्धि विकसित होती है तब हम अच्छे-बुरे का अंतर समझ सकते हैं। यह शांति, दयालुता, विश्वास, शुद्धता का प्रतीक है। यही गुण हमें समाज में प्रतिष्ठा दिलाते हैं।

ये रंग हमें प्रेम, उत्साह, उमंग, साहस, शक्ति और लगन से कार्य करने की सीख देता है। यही गुण हमारी सफलता को सुनिश्चित करते हैं। यह रंग जोश, आनंद, आकर्षण, दोस्ती का प्रतीक है। जीवन में ये गुण सफलता की ओर ले जाते हैं। ये रंग दूरदर्शिता, कुशाग्रता से कार्य करने और दूसरों को प्रभावित करने की सीख देता है।

यह रंग प्रकृति का प्रतीक है। हमें प्रकृति की तरह सहनशील, उदार और निरंतर उद्यमी बनना चाहिए, तभी धन, भाग्य, सुख-समृद्धि, उपलब्धियां मिलती हैं।

होली (29 मार्च, सोमवार) रंगों का त्योहार है। रंगों से हमारा गहरा नाता केवल संस्कृति और जीवन तक ही सीमित नहीं है, वह हमारे ज्ञान-विज्ञान में भी शामिल है।

यही कारण है कि रंगों से हमारा स्वभाव भी पहचाना जाता है। रंग हमारे संपूर्ण व्यक्तित्व का आईना भी हैं। हर रंग किसी न किसी भाव और गुण का प्रतिनिधित्व करता है। होली के मौके पर हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं.