जानिए किस कारण डॉक्टर कोरोना मरीजों को दे रहे है खून पतला करने वाली दवा

कोरोना वायरस की इस बदलती हुई चाल को समझने के लिए आपको सबसे पहले ब्लड क्लॉटिंग को समझना होगा. विज्ञान की ज़ुबान में इसे हीमोस्टैसिस कहते हैं. दरअसल, जब आपको कोई चोट लगती है और खून शरीर से बाहर निकल आता है. तब कुछ देर बाद खुद ब खुद उस जगह पर खून के थक्के जम जाते हैं. ये खून को रोकने का कुदरती तरीका है. जो खून को जेल (Gel) में बदल देता है.

अब कुछ इसी तरह की इंटरनल यानी शरीर के अंदर की क्लॉटिंग होती है. कई डॉक्टर्स ने कोरोना के मरीज़ों में ये नोटिस करनी शुरू कर दी है, जिसे मिस्टीरियस ब्लड क्लॉटिंग कॉम्प्लिकेशन यानी रहस्यमी ब्लड क्लॉटिंग नाम दिया गया है. जो कोरोना वायरस के मरीज़ों की मौत का कारण बन रही है. क्योंकि अभी तक कोरोना के मरीज़ों की मौत रेस्पेरेट्री यानी सांस लेने में दिक्कत की वजह से हो रही थी. लेकिन अब डॉक्टर्स नोटिस कर रहे हैं कि जिन मरीज़ों की जान कोरोना से जा रही हैं. उनमें इंटरनल ब्लड क्लॉटिंग एक बड़ी वजह है, जो किडनी, लंग्स, ब्रेन या फिर स्किन के अंदर देखने को मिल रही हैं.

नीदरलैंड में हुई कोरोना मरीज़ों की एक स्टडी के मुताबिक करीब 180 आईसीयू पेशेंट्स में 31फीसदी ब्लड क्लॉटिंग की दिक्कत से गुज़र रहे हैं. वहीं चीन में हुई एक स्टडी में करीब 183 कोरोना वायरस मरीज़ों के पोस्टमार्टम में ये पाया गया कि उनमें 119 मरीज़ यानी 71 फीसदी मरीज़ों की जान ब्लड क्लॉटिंग की वजह से गई और अब इसी को देखते हुए कई जगहों पर डॉक्टर्स ने ब्लड क्लॉटिंग की शिकायत वाले कोरोना मरीज़ों को ब्लड थिनर यानी खून पतला करने वाली दवाओं की स्मॉल डोज़ देने शुरु की है.