जानिए होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त , ऐसे करे पूजा

होलिका दहन से पहले पूजा के दौरान होलिका का पास पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठें और गणेश और गौरी की पूजा करें। मंत्र उच्चारण के बाद बड़गुल्ले की चार मालाएं ले, ज्समें एक पितरों के नाम की, एक हनुमान जी के नाम की, एक शितला माता के लिए और एक अपने परिवार को होलिका समर्पित करें।

 

होलिका दहन के लिए होलिका पूजा के बाद जल से अर्ध करें फिर मुहूर्त अनुसार होलिका में अग्नि प्रज्वलित कर दें। इस दौरान इस आग में गेहूं की बालिया सेक लेंफिर उनको खा लें माना जाता है कि इससे लोग निरोग रहते हैं।

होलिका दहन से पहले या होलाष्टक के दिन से किसी जगह पर पिड़ की टहनियां, गोबर के उप्पलें, सुखी लकड़ियां, घास-फूस आदि इक्टठा किया जाता है। ऐसे करते हुए होलिका दहन के दिन तक उस जगह पर लकड़ी और उप्पलों का ढ़ेर लग जाता है।

जिसके बाद होलिका पूजन सामग्री तैयार करना होता है। जिसमें एक लोटा जल, चावल, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां आदि शामिल होता है।

होलिका को दहन करने का शुभ मुहूर्त रविवार शाम 6 बजकर 37 मिनट से लेकर 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। अगर कोई चाहता है वो रात में होलिका दहन करें तो वो रात 12 बजे से पहले कर लें क्योंकि उसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।

कोरोना के कहर के बीच होली भी आ गई। रंगों के त्यौहार होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार होलिका दहन का बहुत खास महत्व है। होलिका दहन के दिन पहले होलिका की पूजा करते हैं और रात को उसका दहन कर देते हैं।