होलिका दहन के दिन करे ये काम, हर मनोकामना होगी पूरी

पौराणिक कथा के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुंचा सकती.

हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ. इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है.

होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं.होली की केवल यही नहीं बल्कि भी कई कहानियां प्रचलित है.

होलिका दहन (Holika Dehan) आज 28 मार्च रविवार को है. हिंदू धर्म में हर साल फाल्गुन (Falgun) पूर्णिमा के दिन होलिका जलाई जाती है होलिका माई की पूजा अर्चना की जाती है.

होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. होलिका दहन को बेहद फायदेमंद सेहत के लिहाज से अच्छा माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं में से एक के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध होलिका के दिन ही किया था.

होलिका की अग्नि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका विष्णु भक्त प्रह्लाद के प्राण लेने के लिए उसे लेकर अग्नि में बैठी थी. अग्नि में ना जलने के वरदान के बावजूद वो जल कर राख हो गई क्योंकि होलिका की मंशा सही नहीं थी.

होलिका दहन का इतिहास काफी पुराना है. होलिका दहन का उल्लेख विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी मिलता है.