राम मंदिर निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद अब इसके स्थापत्य को लेकर उत्सुकताएं जागी हैं. इसकी तैयारियां 90 के दशक यानी करीब 30 वर्ष पहले ही आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई ने प्रारम्भ कर दी थी.
उन्होंने ऐसा विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल के साथ किया. उनका दावा है कि निर्माण के लिए अगर 2000 कारीगर लगाए जाते हैं तो इसे ढाई वर्ष में पूरा बनाया जा सकता है. निर्माण के लिए करीब 100 करोड़ रुपये के खर्च का आकलन किया गया है.
स्थापत्य की अच्छाई कुछ ऐसी होंगी
- इसे 150 फुट चौड़ा, 270 फुट लंबा व 270 फुट ऊंचे गुम्बद आकार में रचा जाएगा
- इसमें सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, कोली, गर्भ गृह के सुंदर प्रवेश द्वार होंगे
- फर्श पर संगमरमर का प्रयोग होगा, बाकी निर्माण पत्थर भरतपुर से लाए जाएंगे
- मंदिर आधार से शिखर तक चार कोण का और गर्भ गृह आठ कोण का होगा, परिक्रमा वृत्ताकार
- मॉडल दो मंजिला है, भूतल पर मंदिर व ऊपरी मंजिल पर राम दरबार होगा
- मंदिर में 221 स्तंभ होंगे, हर एक पर देवी-देवताओं की 12 आकृतियां बनी होंगी
- मंदिर में ही संत निवास, शोध केंद्र, कर्मचारी आवास, भोजनालय आदि भी होगा
निर्माण में नहीं होगा लोहे का इस्तेमाल
राम मंदिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. इसकी वजह स्थापत्य को पत्थरों के जरिए मंदिर को मजबूती देना बताई जाती है. वहीं, भगवान राम की प्रतिमा व राम दरबार का निर्माण होगा. मुख्य मंदिर में सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व भगवान गणेश की प्रतिमाएं भी उनके इर्द-गिर्द होंगी.