ऐसे दिखे नोटबंदी के कारनामे आकड़ा हुआ साफ़, सामने आया कालेधन का ये खौफनाक सच

नोटबंदी के दौरान कालाधन खपाने वाले ज्वैलर्स पर आयकर विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। आंकड़ों की पड़ताल से पता चला है कि कई ज्वैलर्स ऐसे हैं जिन्होंने बड़े पैमाने पर नकदी जमा कराई लेकिन उसका स्रोत नहीं बताया। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने हिंदुस्तान को ऐसे तमाम मामलों की फेहरिस्त दी है। कई आभूषण कारोबारी ऐसे हैं जिन्होंने रिटर्न में अपनी आय पांच लाख से कम दिखाई है उन्होंने नोटबंदी के दौरान दो-तीन दिन में ही करोड़ों रुपये की नकदी जमा की।

गुजरात के एक ज्वैलर ने तो करीब एक लाख फीसदी ज्यादा नकदी बैंक में जमा कराई लेकिन यह पैसा कहां से आया, इसकी जानकारी नहीं दे सका। एक अन्य मामले में सालाना 64,550 रुपए कमाई दिखाने वाले ज्वैलर ने नोटबंदी के दौरान 72 लाख रुपए नकद बैंक में जमा किए। जांच के दायरे में आये इन जौहरियों ने आकलन वर्ष 2017-18 के अपने आयकर रिटर्न में इस तरह के लेनदेन की कोई जानकारी नहीं दी है। हिन्दुस्तान को मिली जानकारी के मुताबिक, अभी गुजरात से जुड़े मामलों की छानबीन और कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद मुंबई, दिल्ली जैसी जगहों पर भी कारोबार की बारीकी से जांच होगी।

ऐसे पता चला

आयकर विभाग डाटा एनालिटिक्स के जरिए सभी खातों पर पैनी नजर रखता है। विभाग को इन ज्वैलर्स के खातों में नोटबंदी के दौरान हुए लेन देन से जुड़े रेड फ्लैग अलर्ट मिले। इस अलर्ट का मतलब है कि व्यक्ति ने आयकर रिटर्न में जो आंकड़े बताए हैं, उसके बैंक खातों और दूसरे लेन देन से वो मेल नहीं खाते हैं। इसके बाद अधिकारियों ने इन्हें नोटिस भेजे और अंतर पर सवाल पूछे। ज्यादातर ने इसका संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

ऐसे खपाया कालाधन

  • एक ज्वैलर ने नोटबंदी के दौरान पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 93,648 फीसदी ज्यादा कैश जमा किया था। नोटबंदी की अवधि नौ नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 के बीच उसके खाते में 4.14 करोड़ रुपए जमा हुए जबकि इसी दौरान पिछले वित्त वर्ष में महज 44,260 रुपए जमा थे।
  • एक और मामले में महज 64,550 रुपए का सालाना आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले ज्वैलर ने 72 लाख रुपए अपने खाते में जमा किए हैं।
  • एक अन्य शख्स ने सालाना रिटर्न 3.23 करोड़ रुपए का दाखिल किया था जबकि उसने 52.26 करोड़ रुपए कैश जमा किया। नोटबंदी के पहले वाले साल में उसने 2.64 लाख कैश जमा किए थे।
  • एक दिलचस्प मामले में आयकर विभाग को पता चला कि 26 लाख रुपए आय का सालाना रिटर्न दाखिल करने वाले ज्वैलर ने 9.66 करोड़ रुपए कैश मिलने का दावा किया। उसने बताया कि ये रकम गहनों की पेशगी के तौर पर साल 2016 में ही 5, 7, 8, 10, 11, 12, और 15 नवंबर को 573 लोगों से मिली है। हालांकि, वो पेशगी देने वाले उन लोगों के नाम, पता और कॉन्टैक्स नंबर देने में सफल नहीं रहा।

कैसे हुई जालसाजी

  • सभी मामलों में करीब-करीब एक ही तरीका अपनाया गया। आयकर विभग के नोटिस पर ज्वैलर्स ने जवाब में कहा कि उन्होंने ये रकम कर्ज के तौर पर ली या तो ग्राहकों से उन्हें मिली। लेकिन ज्यादातर लोग ये नहीं बता सके कि कर्ज देने वाला कौन है।
  • कुछ लोगों ने कहा कि ये रकम अलग-अलग व्यक्तियों या फिर गैर रजिस्टर्ड डीलरों से ली गई। अक्तूबर में बेचे गए गहनों से भी पैसे आए। लेकिन जब जांच हुई तो उसका कोई भी बिल ये लोग नहीं दिखा सके, जिससे साबित हो कि उनकी बात सही है।
  • ज्वैलर्स ने कई अज्ञात ग्राहकों से 20 हजार रुपए से कम की रकम को पेशगी के तौर पर लिया बताया। वो सारी रकम एक ही बैंक खाते में जमा की गई। बाद में वो रकम उन्हीं ग्राहकों को बिना किसी वजह के वापस करना भी दिखाया गया।