चाइना पर लगा …इस देश को कई राष्ट्रों के विरूद्ध भड़काने का किया कार्य

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ओली ने वर्ष 2015-16 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान कंबोडिया के टेलीकॉम्युनिकेशन सेक्टर में निवेश किया था. इस काम में उनकी मदद उस समय नेपाल में चाइना के राजदूत रहे वी चुन्टई ने की. इसमें कंबोडिया के पीएम हूं सेन ने भी मदद की थी. इसके आलावा ओली पर दूसरे कार्यकाल के दौरान भी करप्शन के आरोप लगे हैं. नियमों को ताक पर रख उन्होंने दिसंबर 2018 में डिजिटल एक्शन रूम बनाने का करार चीनी टेलिकॉम कंपनी हुवावे को दिया.

रिपोर्ट में ओली पर चाइना से घूस लेने के भी आरोप लगा है. आरोप लगाया गया है कि ओली की संपत्ति में तेजी से इजाफा हुआ है. इस पैसे उन्होंने दूसरे राष्ट्रों में बहुत ज्यादा प्रॉपर्टीज खरीद रखीं हैं, जिसके बदले में उन्होंने चाइना के बिजनेस प्लान को नेपाल में लागू कराया है.

मई 2019 में नेपाल टेलिकम्युनिकेशन ने हांगकांग की एक चीनी कंपनी के साथ रेडियो एक्सेस नेटवर्क तैयार करने का करार किया. इसी वर्ष चाइना की कंपनी जेटीई के साथ कोर 4 जी नेटवर्क लगाने का भी सौदा तय हुआ था.

चाइना (China) पर लगातार ये आरोप लगते रहे है कि वह निर्बल अर्थव्यवस्था वाले राष्ट्रों में निवेश कर उनकी नीतियों को प्रभावित करता है. इसके ताजा उदाहरण श्रीलंका (Sri Lanka) व

मलेशिया (Malaysia) हैं, जहां पर निवेश के बहाने चाइना ने उन्हें कई राष्ट्रों के विरूद्ध भड़काने का कार्य किया है. अब नेपाल में इस तरह का नजारा देखने को मिल रहा है. ग्लोबल वॉच एनालिसिस की रिपोर्ट का दावा है कि नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) भी चाइना की इस चालबाजी का शिकार हैं.

यह दोनों प्रोजेक्ट 130 मिलियन यूरो (करीब 1106 करोड़ रुपए) से सारे किए जाने थे. इस मुद्दे में ठेके आवंटन पर सवाल उठाए गए थे. बीते माह ही नेपाल ने 621 करोड़ रुपए की लागत से कोरोना प्रोटेक्टिव गियर्स व टेस्टिंग उपकरण खरीदे थे. ये ज्यादातर बेकार थे. इसके विरोध में राजधानी काठमांडू में प्रदर्शन भी हुआ.