चीन को लेकर सामने आई ये बड़ी खबर, देने जा रहा…

सूत्र के मुताबिक आजादी के बाद से अब तक चाइना ने बिना वजह हिंदुस्तान के लिए कठिनाई पैदा की है. हिंदुस्तान इस बार चाइना को ताकत का अहसास कराकर तनाव पैदा करने की चाइना की रणनीति पर लंबे समय तक विराम लगाना चाहता है.

 

आर्थिक-कूटनीतिक क्षेत्र में चाइना को संदेश देना चाहता है कि अब बेवजह निशाना बनाने, तनाव पैदा करने पर उसे बड़ी मूल्य चुकानी होगी. हिंदुस्तान की रणनीति एलएसी पर तेजी से निर्माण काम जारी रखने की भी है.

भारत कूटनीतिक मोर्चे पर भी परिवर्तन लाने के मूड में नहीं है. दक्षिण चीन सागर , हॉन्गकॉन्ग, वन रोड वन बेल्ट परियोजना के प्रति विरोधी रुख जारी रहेगा.

हिंदुस्तान कोरोना और अन्य मामलों में चाइना को अलग-थलग करने में किरदार निभाता रहेगा. हिंदुस्तान संदेश देना चाहता है कि वह तनाव पैदा करने की स्थिति में उसके लिए वैश्विक स्तर पर कठिनाई पैदा करने के किसी विकल्प को जाने नहीं देगा.

एलएसी पर हिंदुस्तान व चाइना का तनाव भले कम होता दिख रहा हो, मगर द्विपक्षीय रितों में बनी दूरी वैसे कम नहीं होगी.चाइना को हिंदुस्तान आर्थिक मोर्चे पर भविष्य में भी तनाव देना जारी रखेगा, जिससे चाइना एलएसी पर टकराव खड़ा करने से पहले कई बार सोचे.

उच्चपदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना के हटने के बावजूद हिंदुस्तान आर्थिक मोर्चे पर चाइना के प्रति भविष्य में नरमी नहीं बरतेगा. निर्माण कंपनियों को ठेके या डिजिटल में चीनी कंपनियों के मोर्चे पर पुराना रुख कायम रहेगा.

हिंदुस्तान की रणनीति आर्थिक मोर्च पर चाइना के विरूद्ध फैसला की प्रक्रिया कम करने की नहीं बल्कि भविष्य में धीरे—धीरे बढ़ाने की है. ऐसे में चीनी एप के विरूद्ध प्रतिबंध सहित आर्थिक फैसलों पर हिंदुस्तान पुनर्विचार नहीं करेगा.