अब संसद में नहीं होगा इस शब्द का इस्तेमाल…

संसद (Parliament) में अब किसी का भी मखौल उड़ाने के लिए ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. दरअसल संसद के हजारों असंसदीय शब्दों (Unparliamentary words) की सूची में ‘पप्पू’ (Pappu) को भी शामिल किया गया है. इसी के साथ ये भी कहा गया है कि अगर संसद में किसी का नाम पप्पू है तो वो असंसदीय शब्द की श्रेणी में नहीं आएगा. यही नहीं अगर कोई सांसद खुद के लिए इस विशेषण का इस्तेमाल करता है तो भी यह कार्यवाही का हिस्सा बना रहेगा.


बता दें कि 16वीं लोकसभा में पप्पू शब्द का इस्तेमाल कई बार संसद में किया गया था. उस वक्त लोकसभा स्पीकर ने खुद के विवेकाधिकार से इसे हटाने का आदेश दिया, लेकिन अब इसे औपचारिक रूप से असंसदीय करार दिया गया है. इससे पहले साल 2009 में असंसदीय शब्दकोश प्रकाशित किया गया था.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सख्त हिदायत देते हुए कहा कि भविष्य में जब कभी भी इन शब्दों का उल्लेख आरोप, उपहास या अपशब्द के तौर पर होगा तो उसे बिना पूछे संसद की कार्रवाई से निकाल दिया जाएगा. बता दें कि पप्पू के साथ ही ‘बहनोई’ और ‘दामाद’ को भी असंसदीय शब्दों की श्रेणी में रखा गया है. इन दोनों शब्दों के लिए भी कहा गया है ये तभी असंसदीय श्रेणी में माने जाएंगे जब इनका इस्तेामल दुरुपयोग के लिए किया जा रहा हो. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा अगर उनके मुंह से भी कोई असंसदीय शब्द निकल जाए तो उसे भी बेझिझक हटा दिया जाए. हाल ही में लोकसभा स्पीकर ने कहा था कि ‘यह बंगाल असेंबली नहीं है’. हालांकि बाद में उसे संसद की कार्रवाई से हटा दिया गया था.

असंसदीय शब्दों की श्रेणी से हटाया गया था ‘गोडसे’
कुछ साल पहले महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सरनेम को असंसदीय शब्दों की सूची से हटाया गया था. उस वक्त महाराष्ट्र के एक सांसद ने लिखित अनुरोध करते हुए कहा था कि उनके क्षेत्र में काफी लोगों के नाम के साथ गोडसे जुड़ा है. ऐसे में इसे असंसदीय श्रेणी में रखना सही नहीं है. इस बार लोकसभा के शीतकालीन सत्र में कई बार गोडसेपंथी कहकर आरोपसूचक शब्द का इस्तेमाल किया था लेकिन उसे संसदीय कार्रवाई से हटाया नहीं गया.