वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस से ठीक हो चुके एक मरीज के शरीर में एंटीबॉडी विकसित होने की संभावना रहती है. लेकिन इससे असल में यह नहीं पता चल पाता है कि उनके शरीर में कितनी इम्युनिटी विकसित हुई है.
कुछ एंटीबॉडी शरीर की रक्षा करती हैं जबकि कुछ एंटीबॉडी शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं. ओहायो स्टेट यूनवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. शान लू लियू के अनुसार मौजूदा समय में कई तरह की जांच मौजूद हैं.
जो एंटीबॉडी की पहचान करने में मदद करती हैं. लेकिन यह हमें यह नहीं बताती कि क्या ये एंटीबॉडी को निष्क्रिय कर सकती हैं. हम इनके जरिये सिर्फ यह जान पाते हैं कि किसी व्यक्ति के शरीर में कितनी एंटीबॉडी मौजूद हैं.
रोना वायरस (Coronavirus) का इलाज खोजने के लिए दुनिया भर में वैज्ञानिक युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं. कोविड 19 (Covid 19) का टीका और दवा विकसित करने के लिए कई देशों के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं.
कोरोना वायरस को लेकर रोजाना नए-नए शोध भी सामने आ रहे हैं. इस बीच अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक लैब टेस्टिंग प्रक्रिया विकसित की है.
यह उन एंटीबॉडी की पहचान करने में सहायक है, जो हमारी कोशिकाओं में होने वाले कोरोना वायरस संक्रमण से हमें बचाती हैं. इस खोज से कोरोना वायरस के इलाज की राह में भी उम्मीद जगी है.