कैल्शियम की कमी से हाथ-पैरों में होती है जलन

कफ बढ़ने से पित्त-अग्नि का बैलेंस बिगड़ता है. इससे मधुमेह होने का खतरा बढ़ता है. इसमें पित्त बढ़ाने वाली दवाइयां व चीजें खानी चाहिए जैसे दालचीनी, करेला, जामुन, हरड़-बहेड़ा, आंवला, सप्तरंगी, मामीजवा आदि. इसमें रस-रसायनों का भी प्रयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि मधुमेह से कोशिकाओं को नुकसान होता है. इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए अग्नाशय रस बढ़ाने वाले दवाइयां देते हैं. इसमें गरम मसाले अधिक खाने से अग्नि बढ़ती व मधुमेह का प्रभाव कम होता है.

मधुमेह में कैल्शियम की कमी होने से पैरों, हथेलियों तलवों व शरीर के दूसरे हिस्सों में जलन होती है.इसे रोकने के लिए कैल्शियम सप्लीमेंट देते हैं. इसके लिए वासंत कुसमाकर रस, वृहद बंगेंश्वर रस, सिलाबुटिका, चंद्रप्रभावटी, मामजक वटी आदि आयुर्वेदिक दवाइयां दी जाती हैं. इसके साथ ही डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, छाछ, पनीर आदि लेने की सलाह दी जाती है. इस मौसम में सिंघाड़ा खूब आता है.इसमें कैल्शियम अधिक होता है जो कैल्शियम मेटाबोलिज्म को अच्छा रहता है. इसे अधिक खाएं.कोई भी दवाई लेने से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर कर लें.
कौनसा दूध पीना अधिक लाभकारी
गाय-बकरी दिनभर चलती हैं. इसलिए उनके दूध में फैट कंटेंट कम, दूध हल्का और सुपाच्य होता है.जबकि भैंस ज्यादा चलती नहीं है. उसके दूध में फैट अधिक होती है. गाय-बकरी का दूध पीना चाहिए.योग की बात करें तो सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, सल्वासन, प्राणायाम व कपालभाति, अनुलोम-विलोम करें. कोई भी आसन विशेषज्ञ की सलाह से ही करें.
मिक्स आटे की रोटी खाएं
मधुमेह में केवल गेंहू के आटे की रोटी खाने से बचना चाहिए. इससे शुगर लेवल बढ़ सकता है. इसकी स्थान ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ आदि मल्टीग्रेन का आटा खाना चाहिए. इसमें फाइबर अधिक होते हैं. इससे वायु कम होती है व शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. ज्यादा से ज्यादा सलाद खाएं. इससे एनर्जी बनी रहती है. कड़वे व तीखे फल-सब्जियां अधिक खाएं.