भारतीय वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकला कोरोना वायरस के 11 रूप, बताया ये…

दुनियाभर में एक ही तरह के वायरस से संक्रमण फैला है। इसके धीरे-धीरे 10 और रूप विकसित होते गए। कोरोना वायरस के मूल रूप का नाम ए2ए रखा गया है।

 

3600 वायरस पर हुई शोधभारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध के मुताबिक ए2ए कोरोना के बाकी 10 प्रकारों पर हावी हो गया और महामारी फैलाने के लिए यही स्ट्रेन जिम्मेदार हैं। शोधकर्ताओं ने 3600 वायरस पर शोध करने के बाद नतीजे जारी किए हैं। यह शोध दिसंबर 2019 से छह अप्रैल 2020 तक किया गया।

शोधकर्ताओं के अनुसार कोरोना वायरस जितनी तेजी से शरीर में पहुंचता है उतनी ही तेजी से शरीर के अंदर यह संख्या बढ़ाता है। जिससे मरीज की हालत नाजुक हो जाती है। ए2ए टाइम में यही सबसे बड़ा खतरा है।

इस स्ट्रेन में अमीनो एसिड, एस्पार्टिक एसिड से ग्लाइसीन में बदल जाता है। कोरोना के दूसरे प्रकारों में केवल एस्पार्टिक एसिड मौजूद होता है और उसमें कोई बदलाव नहीं होता। इसी कारण ए2ए सबसे घातक है।

शोध के अनुसार कुछ देशों में ए2ए वायरस की पहुंच 80 प्रतिशत तक हो सकती है। जबकि भारत में यह 45 प्रतिशत मौजूद है। शोधकर्ता पार्थ मजूमदार का कहना है कि दुनियाभर में कोविड-19 से बचाव के लिए टीके तैयार किए जा रहे हैं.

सबसे बड़ी लड़ाई ए2ए के खिलाफ लड़नी होगी।भारत में कोरोना वायरस पर हुए नए शोध के अनुसार दुनियाभर में फैले वायरस के 11 प्रकार हैं लेकिन कोरोना का एक ही रूप महामारी का कारण है।

जिसने इंसानों के फेफड़ों को संक्रमित किया है। वायरस के कारण दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह शोध पश्चिम बंगाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के वैज्ञानिकों ने किया है। शोधकर्ताओं ने विभिन्न तरह के 3600 वायरस पर शोध करने के बाद इस बात का पता लगाया है .