चीन से निपटने के लिए भारत ने तैयार की ये खतरनाक मिसाइल, बढ़ गया तनाव…

चीन का प्रस्ताव है कि भारतीय सेना इस इलाके को पूरी तरह खाली कर दे। 5-6 मई की रात, पीएलए ने कील वाली क्लबों और छड़ों का उपयोग करते हुए फिंगर 4 पर हमला किया, एक भारतीय सेना के अधिकारी को पैंगोंग त्सो झील में फेंक दिया और भारतीय सैनिकों से भिड़ गए।

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में विघटन पर सैन्य-कूटनीतिक स्तर के आठवें दौर की वार्ता के लिए तारीख को लेकर भारत चीन की पुष्टि का इंतजार कर रहा है। उसने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा फिंगर 4 से चीनी सैनिकों की वापसी की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है।

मोदी सरकार ने बिना डरे और वोट बैंक की परवाह किये बगैर हर जगह पर अपने वादों को पूरा किया। भले ही बाद में उसे आलोचनाओं का सामना क्यों न करना पड़ा हो लेकिन उसने कभी भी इसकी परवाह नहीं की।

जो अगर कोई बात ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। फिर चाहें वो जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का मुद्दा हो, चीनी कम्पनियों पर बैन लगाने हो, ट्रिपल तलाक का मुद्दा हो, राम मंदिर का मुद्दा हो या फिर कोई और।

चीन को अपनी सेना वापस लेनी ही होगी। पहले तो चीन को लगा कि वह भारत को धमकी देकर एलएसी से पीछे हटा देगा लेकिन भारत की तैयारी देखकर उसे मालूम पड़ गया कि भारत उसकी धमकियों से डरने वाला नहीं है।

उसे ये भी पता चल गया है कि आज का भारत नेहरू युग से काफी आगे निकल चुका है। राष्ट्र की कमान मजबूत इरादों और 56 इंच का सीना रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में हैं।

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल(एलएसी) पर आज युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। चीन चाहता है कि भारत अपनी सेना को वहां से पीछे हटा लें। लेकिन भारत ने पहले ही साफ़ कर दिया है कि वह अपनी सीमा के अंदर खड़ा है। सीमा की रक्षा करना सैनिकों का काम है। इसलिए भारतीय सेना वहां से पीछे नहीं हटेगी।

जिसके बाद से दोनों देशों ने सीमा पर भारी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए। गलवान घाटी में चीन और भारतीय सेना के बीच झड़प के बाद से तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया।

सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर पर कई दौर की वार्ताएं भी हुई लेकिन सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकल पाया।