भारत और चीन के बीच बढ़ा विवाद , सीमा पर हथियारों के साथ सेना तैनात

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने प्रस्ताव दिया है कि दोनों पक्ष बख्तरबंद और तोपखाने को पहले वहां से हटाएं इसके बाद पैदल सेना को हटाने की बारी आएगी।

 

वहीं, भारतीय पक्ष बहुत स्पष्ट है कि बख्तरबंद इकाइयों को वापस नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि इलाके और क्षमता के कारण विरोधी को लाभ मिल सकता है।

वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो दोनों ही पक्ष विवाद वाले स्थल पर फिलहाल शांति बहाल करने के लिए व्याकुल नहीं दिख रहे हैं, लेकिन उन्होंने सैन्य कमांडर और राजनयिक स्तरों पर संवाद चैनलों को खुला रखने का फैसला किया है। विवाद वाले स्थलों पर किसी भी विपरीत परिस्थिति को नहीं दोहराने के लिए भी बातचीत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख में जारी सीमा विवाद सुलझाने को लेकर अगले हफ्ते भारत-चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर की वार्ता का आठवां दौर आयोजित होने की उम्मीद है।

सर्दियों और बर्फबारी के मद्देनजर दोनों ही सेनाओं ने 1,597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जवानों की तैनाती में वृद्धि करना शुरू कर दिया है।

भारत और चीन के बीच मई से जारी सीमा विवाद अभी तक सुलझ नहीं पाया है। दोनों ही देश एक दूसरे को शक की निगाह से देख रहे हैं, जिस कारण सीमा पर हथियारों और जवानों की तैनाती बढ़ गई है।

नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सात दौर की वार्ता होने के बाद भी सीमा पर स्थिति सुलझी नहीं है। वहीं, एक बार फिर भारत और चीन सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए टेबल पर आने वाले हैं।