कोरोना की दूसरी लहर में बढ़ रहा मौत का आंकड़ा , श्मशान घाटों पर खत्म हो रहा ये…

नोएडा के सेक्टर 94 में मौजूद श्मशान घाट में इस एक महीने के दौरान अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में 10 हजार क्विंटल लकड़ियों का इस्तेमाल किया गया.

अनुमान के मुताबिक, एक शव का अंतिम संस्कार करने के लिए 4 से 5 क्विंटल लकड़ी की आवश्यकता होती है. सेक्टर 94 के श्मशान में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

इसके अलावा शहर में सेक्टर-14 स्थित शनि मंदिर के पास, सेक्टर-49 बरौला, सेक्टर-52 होशियारपुर और सेक्टर-135 नंगली वाजितपुर गांव के पास बने श्मशान घाट में भी कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इन चारों कोविड-19 शमशान घाटों पर करीब 12 से 15 शवों का रोज अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

खास बात है कि इन चारों कोविड श्मशान घाटों पर सिर्फ लकड़ियों से अंतिम संस्कार करने का इंतजाम है. इस वजह से लकड़ियां तेजी से खत्म हो रही है. नोएडा प्रशासन ने लकड़ी की कमी को देखते हुए मेरठ और हापुड़ से इसकी खेप मंगाई है. हालांकि, जिस संख्या में अंतिम संस्कार के लिए शव आ रहे हैं, उससे नहीं लगता कि ये खेप भी काफी होगी.

नोएडा के सेक्टर 94 में मौजूद श्मशान घाट में शवों को जलाने के लिए लकड़ियां मेरठ और हापुड़ से मंगवाई जा रही है. सेक्टर 94 के श्मशान घाट में लकड़ियों का स्टॉक करीब 1 साल का था, लेकिन पिछले एक महीने में शवों की आमद बढ़ गई और लगातार हो रहे अंतिम संस्कार से एक साल का स्टॉक एक महीने में खत्म हो गया है.

देश में कोरोना की दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. यही वजह है कि श्मशान घाटों पर अभी भी लंबी-लंबी लाइन लगी हुई है. कई श्मशान घाटों पर लकड़ियां खत्म होने का भी मामला सामने आ रहा है. गौतमबुद्धनगर के श्मशान घाटों पर एक साल की लकड़ी महज एक महीने में खत्म हो गई.