पंजाब के निकाय चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को किया पीछे , हासिल की शानदार जीत

नवजोत सिंह सिद्धू धुआंधार प्रचार करने के लिए देश भर में जाने जाते हैं, लेकिन इस बार पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में एक जगह भी प्रचार करते नजर नहीं आए.

वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी को यह संदेश देने में कामयाब हो गए हैं कि वह सिद्धू के प्रचार के बिना भी पार्टी को जीत दिला सकते हैं. ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस की दुविधा और बढ़ गई है.

दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व नवजोत सिंह सिद्धू ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था. उस समय उन्होंने पूरे नौ-दस दिन धुंआंधार प्रचार किया.

सिद्धू ने मुख्य रूप से पंजाब के शहरी क्षेत्र में प्रचार की कमान संभाल रखी थी और यहां से कांग्रेस को अच्छी खासी सफलता मिली थी. यही वजह रही कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धू को स्थानीय निकाय जैसा विभाग मिला तो उन्होंने शहरों में सुधार के लिए ही कई कदम उठाए, लेकिन वह अपने इस काम को निरंतर जारी नहीं रख पाए.

कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में कांग्रेस ने पंजाब में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में कांग्रेस को कारारी हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन पंजाब में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा था.

इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कैप्टन के नेतृत्व में कांग्रेस बहुमत हासिल करने में सफल रही थी. वहीं, अब निकाय चुनाव में शानदार जीत ने प्रदेश में कांग्रेस को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उत्साह से भर दिया है.

पंजाब के निकाय चुनाव में कांग्रेस ने तमाम विपक्षी पार्टियों को कारारी मात देते हुए आठ में से छह नगर निगम और 108 में से 101 नगर पालिक व नगर पंचायत में जीत हासिल की.

कांग्रेस की शानदार जीत ने एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह न सिर्फ सूबे के राजनीतिक किंग साबित हुए, बल्कि 2022 के विधानसभा चुनाव का चेहरा भी बन गए हैं.

निकाय चुनाव की जीत का सेहरा कैप्टन के सिर बंधने से कांग्रेस के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू और सांसद प्रताप सिंह बाजवा के लिए भविष्य में टेंशन बढ़ सकती है.