महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कुर्सी बचाने के लिए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्ष के साथ ऐसा फैसला ले सकते है उद्धव ठाकरे

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि यह कानून सांप्रदायिक है और इसे तत्काल वापस लेना चाहिए। वहीं, इस बिल को लेकर कई राज्यों में हिंसा भी हो रही है। लोग सड़कों पर उतरकर इसका विरोध कर रहे हैं।

वहीं, इसको लेकर विपक्ष एकजुट हो गया है और विपक्ष का एक प्रतिनिधिमंडल आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेगा। इस दौरान प्रतिनिधमंडल उन्हें देश की वर्तमान परिस्थितियों से अवगत कराएगा। हालांकि इस प्रतिनिधिमंडल से शिवसेना ने दूरी बना ली है। जबकि पहले कहा जा रहा था शिवसेना इसका हिस्सा है।

नागरिकता कानून को लेकर राष्ट्रपति से आज शाम को विपक्षी दल के प्रमुख नेता मुलाकात करेंगे। इस कानून के खिलाफ रविवार को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंसक प्रदर्शन हुए। जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा गया और पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया।

वहीं, राष्ट्रपति से मुलाकात से अपनी पार्टी को अलग करते हुए शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। शिवसेना इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र में नागरिकता कानून को लागू किया जाएगा तो उन्होंने कहा, ‘हमारे मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) इसपर कैबिनेट बैठक में फैसला लेंगे।’

नागरिकता संशोधन बिल पर लगातार विपक्ष का हंगामा जारी है। सोमवार को लोकसभा में बिल पेश होने के बाद पूर्ण बहुमत से पास हो गया था वहीं आज बिल राज्य सभा में पेश किया गया है। शिवसेना ने सोमवार को लोकसभा में इस बिल के पक्षे में वोटिंग की थी लेकिन मंगलवार को कहा था कि वह चीजें स्पष्ट होने तक बिल का समर्थन नहीं करेगी। वहीं आज जब राज्यसभा में बिल पेश किया गया तो शिवसेना ने एकबार फिर सुर बदल दिये हैं।

शिवसेना की तरफ से बयान आया है कि उन्होंने वोटिंग को लेकर अब तक कोई फैसला ही नहीं लिया है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि नागरिकता संशोधान बिल पर शिवसेना को राज्यसभा में क्या करना है, इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि हम चर्चा के दौरान देखेंगे कि किस तरीके के मुद्दे सामने आ रहे हैं और उसी के आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि क्या करना है।

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर प्रदेश सरकार बनाई है। जहां कांग्रेस पूरी तरह से नागरिकता संसोधन बिल का विरोध कर रही है वहीं लोकसभा में 9 दिसंबर को नागरिकता संशोधन बिल पर हुई वोटिंग में शिवसेना ने अपनी सहयोगी कांग्रेस के खिलाफ जाकर मोदी सरकार का समर्थन किया था। बताया जा रहा है कि लोकसभा में बिल पास होने के बाद शिवसेना के इस रुख पर कांग्रेस ने ऐतराज जताया तो मंगलवार को उसने अपने सुर बदल लिए थे लेकिन एकबार फिर शिवसेना ने कह दिया है कि चर्चा के बाद तय होगा कि वोटिंग पक्ष में करनी है या विपक्ष में।