भारत मे महिलाओ से ज्यादा पुरुष कर रहे ये, जानें इसका कारण

जब 16 जनवरी को भारत में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ, तो गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीकाकरण के दायरे से बाहर रखा गया था। विशेषज्ञों के अनुसार इसे ही महिला-पुरुष के अनुपात के पीछे एक कारण समझा जा रहा है।

टीकाकरण की शुरुआत में ऐसी कई अफवाहें फैलाई गई जिनमें कहा गया कि पीरियड के दौरान महिलाओं को कोविड -19 के टीके नहीं लेने चाहिए या यह कि टीके प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इन्ही अफवाहों के कारण महिलाएं टीका लगवाने नहीं पहुंच रही हैं।

वहीं अगर ​​पुरुष-महिला अनुपात की बात करें तो सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाएं 3 करोड़ खुराकों से पुरुषों से पीछे चल रही हैं। टीकाकरण अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 14.99 करोड़ महिलाओं को खुराक दी जा चुकी हैं।

जो कि टीकाकरण अभियान का कुल 46 प्रतिशत है। वहीं पुरुषों को लगभग 17.8 करोड़ खुराक दी गई है, जो कुल टीकाकरण का 54 प्रतिशत है। भारत में अब तक अन्य लिंग वर्ग के 54,693 लोगों ने टीकाकरण प्राप्त किया है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने लिंग अंतर पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि टीकाकरण बूथ पर आने वाली महिलाओं का अनुपात टीका प्राप्त करने के लिए बढ़े ताकि लिंग में भी सुधार हो सके।”

भारत में 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण अभियान को 21 जून से नई रफ्तार मिली है। 12 से 29 जून के बीच आठ दिनों में भारत ने कनाडा की पूरी आबादी से अधिक लोगों को टीका लगाया है। लेकिन टीकाकरण कवरेज का पुरुष-महिला अनुपात विषम बना हुआ है।

21 जून से भारत ने टीकाकरण के एक नए चरण में कदम रखा है। अब केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदता है और उन्हें राज्यों को दे रहा है ताकि लोगों को तेज गति से टीका लगाया जा सके।

पिछले आठ दिनों में 4.61 करोड़ से अधिक खुराकें दी गई, जिसे सरकार ने इराक (4.02 करोड़), कनाडा (3.77 करोड़), सऊदी अरब (3.48 करोड़) और मलेशिया (3.23 करोड़) की आबादी से अधिक बताया है।