दिल्ली में हिंसा के चलते सरकार ने लिया बड़ा एक्शन, कहा मुसलमानों को करो…

दिल्ली हिंसा के दौरान जब लोगों को मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब पुलिस ने उनका साथ नहीं दिया। मदद के लिए लोग इमरजेंसी नंबर ‘100’ डायल करते रहे लेकिन पुलिस की तरफ से फोन नहीं उठाया गया।

पुलिस का यह लापरवाह रवैया 48 से 72 घंटे तक जारी रहा। उत्तर पूर्वी के हिंसा पीड़ित लोगों ने आपबीती बताते हुए यह दर्द बयां किया है।

पुलिस के साथ लोगों को दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र में मोदी सरकार से भी नाराजगी है। लोगों ने कहा दिल्ली सरकार को हिंसा पीड़ितों के साथ खड़ा रहना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर BJP पार्टी पूर्णतया स्पष्ट कर चुकी है कि अब CAA कानून किसी भी हालत में वापस नहीं होगा।

मगर इस बिल के विरुद्ध दिल्ली के शाहीन बाग में बैठे अधिकतर लोग भी पीछे हटने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है। इसी बीच दिल्ली के शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को एक बहुत बड़ी शक्ति का समर्थन भी मिला है।

मित्रों भारत देह जैसे कृषि प्रधान देश में किसानों को एक बहुत बड़ी शक्ति के नज़रिए से देखा जाता है। यही कारण है कि अब अधिकतर किसानों ने भी दिल्ली के शाहीन बाग में बैठे अधिकतर लोगों का समर्थन करने का पूरा फैसला कर लिया है। इस फैसले के बाद पंजाब राज्य से तकरीबन 800 किसान दिल्ली के शाहीन बाग के लिए रवाना भी हो चुके हैं।

आपको ये बता दें इससे पहले भी दिल्ली के शाहीन बाग के अधिकतर प्रदर्शनकारियों को कई बड़े दलों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। तो मित्रों ऐसे में किसानों द्वारा भी समर्थन मिलने पर यह विरोध प्रदर्शन और अधिक मजबूत भी हो जाएगा।

जिससे BJP पार्टी की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 भारत की संसद द्वारा 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया था।

इसने 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करके हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई के अवैध प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता का मार्ग प्रदान किया।

धार्मिक अल्पसंख्यक, जो दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से उत्पीड़न से बच गए थे। उन देशों के मुसलमानों को ऐसी पात्रता नहीं दी गई थी। यह अधिनियम पहली बार धर्म को भारतीय कानून के तहत नागरिकता के लिए एक कसौटी के रूप में इस्तेमाल किया गया था।