देहरादून में अब किसी भी जिले में हेलीकॉप्टर उतारने से पहले नहीं लेनी होगी अनुमति

देहरादून में अब हेली कंपनियों को किसी भी जिले में हेलीकॉप्टर उतारने से पहले जिलाधिकारी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए केवल उन्हें जिलाधिकारियों को इसी सूचना देनी होगी। हालांकि, उतरने की सूचना उन्हें पहले ऑनलाइन देनी होगी। इसके अलावा सरकार नॉन कर्मिशियल लैंडिंग वाले इलाकों में भी शुल्क कम करेगी। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने हेली कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर यह जानकारी दी। उन्होंने हेली सेवाओं को सुरक्षित करने के लिए भी एसओपी बनाने की बात कही। इसके साथ ही सहस्रधारा में फ्यूलिंग स्टेशन बनाने की भी बात कही।

शनिवार को सहस्रधारा हेलीड्रोम में हुए हेलीकॉप्टर समिट में हेली सेवा प्रदाता कंपनियों ने हर जिले में उतरने से पहले जिलाधिकारी की अनुमति लेने का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि इससे सेवाएं प्रभावित होती हैं। जिलाधिकारी की अनुमति लेने के लिए विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काटने में समय भी ज्यादा लगता है। इसके साथ ही सुरक्षा मानकों को लेकर भी सवाल उठाए। इस पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा कि अब प्रदेश में जिलाधिकारी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। किसी भी जिले में उतरने के लिए अब पहले सूचना देनी होगी। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया गया है। इसे अब मुख्य सर्वर से जोड़ा जाना शेष है। इससे यह पता चल सकेगा कि कोई अन्य उस समय तो वहां नहीं उतर रहा है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा संबंधी बिंदुओं पर सरकार पहले ही संज्ञान ले चुकी है। इन पर काम किया जा रहा है जल्द ही इसके लिए मानक तय कर दिए जाएंगे।

हेली कंपनियों ने किराया निर्धारण और टिकट बेचने के फैसले पर उठाए सवाल

समिट में हेली कंपनियों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार द्वारा किराया निर्धारण व टिकट बेचने के फैसलों पर सवाल उठाया। इसके साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे शुल्क की दरों को अधिक बताते हुए इसे कम करने की बात कही। कंपनी के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार का काम प्रबंधन का होता है लेकिन सरकार यहां टिकट का किराया तय करने के साथ ही टिकट बेचने का काम भी कर रही है। इससे हेली कंपनियों को स्वतंत्र रूप से काम करने में दिक्कतें आ रही है। बेहतर यह होगा कि टिकट बेचने और किराया तय करने का काम कंपनियों पर छोड़ दिया जाए और सरकार प्रबंधन और सुरक्षा पर ध्यान दे।

सेना ने कहा प्रतिबंध के साथ कमर्शियल फ्लाइट की दी जा सकती है अनुमति

आपदा राहत कार्यों में सेना की अहम भूमिका रही है। वर्ष 2013 में आई आपदा में सेना का योगदान सराहनीय रहा है। सेना ने प्रदेश के पर्यटन विकास के लिए सेना के हेलीपैड्स पर हवाई जहाज उतारने की अनुमति तो दे सकती है लेकिन प्रतिबंध के साथ। डीजी आर्मी एविएशन लेफ्टिनेंट जनरल कंवल कुमार ने कहा कि सीमांत क्षेत्र होने के कारण सुरक्षा कारणों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। एयर वाइस मार्शल संजीव कपूर ने हेलीकॉप्टर द्वारा इमरजेंसी मेडिकल सर्विस के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

हेलीपेड के मुकाबले केवल 30 प्रतिशत हेलीकॉप्टर

फिक्की के सिविल एविएशन कमेटी के चैयरमैन आनंद ई स्टेनली ने बताया कि देश में जितने हेलीपैड हैं उनके मुकाबले केवल 30 फीसद हेलीकॉप्टर हैं। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई उड़ान योजना और अब कश्मीर में यह सेवाएं बढऩे की उम्मीद बढ़ी है।

मसूरी में तीन हेलीपैड में हवाई सेवाओं को मिली स्वीकृति

समिट में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक एकेडमी के निदेशक संजीव चोपड़ा ने एकेडमी तक हेली सेवाएं शुरू करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एकेडमी के पास तीन हेलीपैड हैं यहां अब हवाई सेवाएं शुरू करने को अनुमति मिल गई है। यहां से कमर्शियल हेली सेवाएं भी चलाई जा सकती हैं।

पिथौरागढ़ उड़ान सेवा को अभी इंतजार

पिथौरागढ़ से देहरादून के बीच उड़ान योजना के तहत चलने वाली हवाई सेवा को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। प्रदेश सरकार इसका रिटेंडर कराने की तैयारी कर रही थी। इस बीच शनिवार को संयुक्त सचिव भारत सरकार ऊषा पाधी ने बताया कि कंपनी ने अक्टूबर से हवाई सेवा शुरू करने का वादा किया है। कंपनी से एक बार और वार्ता की जाएगी इसके बाद रिटेंडर के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।