चीन की चाल में फंसा पाकिस्तान, कर डाला ये काम , तस्वीरों में हुआ बड़ा खुलासा

चाइना के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्त्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का भाग है, जो पाक के बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह को चाइना के शिजिंयाग प्रांत से जोड़ता है. इस ग्वादर का कार्य पाक ने चाइना को सौंप दिया है.

 

जो अरब सागर के किनारे पाक के बलूचिस्तान प्रांत में चाइना ग्वादर पोर्ट को तेजी से विकसित कर रहा है. उपग्रह तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि चाइना इस बंदरगाह पर सैनिकों के रहने के बैरक के साथ कई तरह की इमारतों का निर्माण कर रहा है.

इस बंदरगाह से थोड़ी ही दूर पर एक हवाई अड्डा भी बनाया जा रहा है. पाक ने ग्वादर बंदरगाह से जुड़ी चाइना की कंपनियों को 40 वर्ष तक कर राहत की छूट दी है.

उपग्रह की तसवीरें एक अमेरिकी एजंसी ने जारी की है, जिनसे पता चल रहा है कि चाइना के निर्माण की संरचनाएं लोकल शैली के इतर हैं, जिनसे पता चलता है कि चाइना यहां सैन्य ठिकाने बनाने की प्रयास कर रहा है. चीनी नौसेना के जंगी जहाज पाकिस्तानी नौसेना के साथ अक्सर इस बंदरगाह की गश्त लगाते रहते हैं.

चीन व पाक के बीच कूटनीतिक-सामरिक योगदान की यह बातचीत ऐसे वक्त में हुई है, जब भारत-चीन के आपसी संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं. पूर्वी लद्दाख में असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य जमावड़े को लेकर चाइना से व आतंकवाद के मामले पर पाक से संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक मीटिंग के दौरान 60 अरब डॉलर की सीपीईसी योजना में हुई प्रगति व इस्लामाबाद द्वारा एक अरब डॉलर ऋण देने के अनुरोध पर चर्चा हुई है.

इस बंदरगाह का कार्य पाक ने चीनी एजंसियों को सौंप दिया है व चाइना वहां अपना नौसैनिक अड्डा विकसित करने में जुटा हुआ है. मुख्य मकसद है हिंदुस्तान की घेराबंदी. ग्वादर के अच्छा दूसरी तरफ ईरान के चाबहार में हिंदुस्तान ने बंदरगाह विकसित किया है व चाबहार के जरिए नए अंतर्राष्ट्रीय मार्ग के निर्माण की तैयारी चल रही है.

चीन व पाक के विदेश मंत्रियों की हालिया मीटिंग में कहने के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे व कोविड-19 को लेकर आपसी योगदान पर बात हुई है, लेकिन बातचीत के केन्द्र में हिंदुस्तान रहा. दक्षिण चाइना के हेईनान प्रांत में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी व उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत में वास्तविक मकसद ग्वादर बंदरगाह के कामकाज की समीक्षा थी.