यदि आप भी नवजात शिशु को ब्रेस्ट ढीले होने के डर से नहीं कराती है ब्रेसटफीडिंग, तो जरुर पढ़े ये खबर

बच्चे के जन्म लेने के बाद से शुरू के 6 महीने तक ब्रेस्ट फीडिंग करानी चाहिए। यह जरूरी है कि ब्रेस्‍ट फीडिंग कराने वाली हर एक मां को इसकी विशेषता को समझे और इससे होने वाले फायदों पर भरोसा करें। यहाँ देखे स्तनपान से जुड़े कुछ मिथ और वास्तविकताः

मिथः- ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय दर्द होना सामान्य है।

वास्तविकताः- यदि ब्रेस्टफीडिंग सही तरीके से कराई जाए तो कभी दर्द नहीं होता है। इसलिए अगर दर्द होता है तो आपको ध्यान देने की जरूरत है।

मिथः- बच्चे के जन्म के 3 या 4 दिन के दौरान अधिक दूध नहीं होता है।

वास्तविकताः- इन दिनों दूध कम जरूर होता है लेकिन बच्चे के हिसाब से काफी होता है और यदि बच्चा ठीक ढंग से फीड ले रहा हो, तो उसके लिए उतना दूध भी काफी होता है। नवजात शिशु के पेट की क्षमता पहले 48 घंटों में 5 से 15 मी/फीड होती है।

मिथः- बच्चे को दोनों स्‍तनों से बराबर फीड करवाएं।

वास्तविकताः- सच्चाई यह है कि ऐसा जरूरी नहीं होता है, बच्चे को दोनों तरफ से समान रूप से फीड करवाया जाए चूंकि यह तो बच्चे की फीड करने मांग और अबाधित पर निर्भर करता है।

मिथः- बोतल से फीड कराने के बाद ब्रेस्ट से फीड कराना, आसान होगा।

वास्तविकताः- इसके विपरीत अगर पहले ब्रेस्टफीड कराने के बाद बाहर का फीड कराए तो ज्यादा आसान होगा।

मिथः- पोस्ट सिजेरियन के बाद पहले 2 दिन तक मां बच्चे को फीड नहीं करवा सकती है।

वास्तविकताः- ऐसे बहुत सी स्थिति होती है जिसमें मां अपने पोस्ट बच्चे को फीड करवा सकती है और वो भी बिना उठे या इधर-उधर खिसके हुए, यहां तक कि तुरंत सर्जरी के बाद भी आप फीड करवा सकती है।

मिथक- लेटकर फीड नहीं करवाना चाहिए।

वास्तविकताः- लेटकर फीड करवाना एकदम सुरक्षित और आरामदायक होता है।

मिथः- ब्रेसटफीडिंग से ब्रेस्ट ढल जाती है।

वास्तविकताः- प्रेग्नेंसी, वंशागत और उम्र के कारण ब्रेस्ट ढलती है न की ब्रेस्टफीडिंग के कारण।