ईरान व अमरीका में गहराते संकट के बीच भारत की बढ़ी मुश्किलें, जानिए कैसे…

ईरान  अमरीका ( Iran-America ) के बीच बीते वर्ष बहुत ज्यादा तनाव भरा रहा  अब नए वर्ष की आरंभ में दोनों राष्ट्रों के बीच फिर से तनाव चरम पर पहुंच गया है.

 

दरअसल, नए वर्ष की आरंभ में ही बगदाद में ईरान समर्थकों ने अमरीकी दूतावास ( American Embassy ) पर हमला बोल दिया. इससे बौखलाए अमरीका ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए ईरानी सेना के वरिष्ठ ऑफिसर जनरल कासिम सुलेमानी ( Irans Gen Qassem Soleimani ) को बगदाद एयरपोर्ट पर बड़ी कार्रवाई करते हुए मार गिराया.

अब इसे लेकर दोनों राष्ट्रों के बीच माहौल बेकार हो गया है. ईरान ने अमरीका का सीधी धमकी दी है कि इसका खामियाजा बहुत जल्द भुगतना पड़ेगा. अब इसके बाद से अतंर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता आएगी.

माना जा रहा है कि हिंदुस्तान पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा. लिहाजा ईरान-अमरीका ( US-Iran-Iraq tension ) के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर हिंदुस्तान भी बेहद करीब से दशा पर नजर बनाए हुए है.

भारत के लिए बढ़ सकती है मुश्किलें

आर्थिक मोर्चे पर मौजूदा समय में हिंदुस्तान को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यदि अमरीका  ईरान के बीच युद्ध जैसे स्थिति बनती है तो हिंदुस्तान को कई मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि दोनों राष्ट्रों के साथ हिंदुस्तान के आर्थिक  सामरिक संबंध हैं.

अमरीका लगातार हिंदुस्तान पर यह दबाव बनाने की प्रयास में है कि वह ईरान से दूर रहे. लेकिन हिंदुस्तान की कूटनीतिक सफलता ही रही है कि दोनों राष्ट्रों के साथ संबंध बरकरार है. यही कारण है कि ईरान पर कई प्रतिबंध लगाने के बाद भी अमरीका ने ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर हिंदुस्तान को छूट देने के लिए तैयार था. हालांकि अमरीकी प्रतिबंधों के बाद हिंदुस्तान ने ईरान से ऑयल खरीदना पूरी तरह बंद कर दिया है.

इससे पहले चाइना के बाद ईरान से ऑयल मंगाने वाला दूसरा सबसे बड़ा आयातक था. संयुक्त देश में अमरीकी राजदूत निक्की हेली ने 2018 में हिंदुस्तान दौरा करते हुए पीएम मोदी से बोला कि हिंदुस्तान को निश्चित रूप से ईरानी ऑयल पर अपनी निर्भरता घटानी चाहिए  अंततः आयात बंद कर देना चाहिए. बता दें कि हिंदुस्तान संसार का चौथा सबसे बड़ा ऑयल आयातक देश है.

भारत चाबहार पोर्ट ( Chabahar Port ) के जरिए मध्य एशिया के तमाम राष्ट्रों के साथ कारोबारी संबंध बढ़ाने की चाहत रखता है  इसके लिए ईरान और रूस के बीच पहले से ही एक योजना पर कार्य कर रहा है. इसके अतिरिक्त पिछले महीने ही चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान तक रेल और सड़क मार्ग बनाने की परियोजना पर वार्ता हुई है.

बता दें कि हिंदुस्तान के लिए ईरान की सम्मान बहुत है. इसमें सबसे बड़ा कारण है अफगानिस्तान की स्थिरता में हिंदुस्तान की किरदार पर पाक के असर को रोकने के लिए ईरान की आवश्यकता रहेगी.

ऐसे में यदि अमरीका  ईरान के बीच युद्ध होते हैं या फिर तनाव गहराता है तो अमरीका हिंदुस्तान पर ईरान से दूर रहने के लिए दाबव बनाएगा, क्योंकि भारत-अमरीका के बीच भी कई आर्थिक  सामरिक समझौते हुए हैं. लिहाज हिंदुस्तान के लिए आने वाले दिनों में चुनौतियां बढ़ सकती है.