होली से पहले दिल्ली में लागू हुआ ये, घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग

दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में हुई उत्तर पूर्वी दिल्ली में इस सप्ताह की शुरुआत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थक व विरोधियों के बीच हुई हिंसा के दौरान काफी तबाही देखने को मिली.

 

इस हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है. दिल्ली तीन दिन तक धूं-धूं कर जली. इस दौरान सैकड़ों मकानों, दुकानों, स्कूल, फैक्टरियां और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया.

पुलिस के के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि दिल्ली में ये दंगे कब और कैसे शुरू हुए. दिल्ली पुलिस की जुबानी जानिए दिल्ली दंगो का पूरा हाल.

ऐसा इस लिए होता है क्योंकि यहां के लोग एक परंपरा का बरसों से पालन करते आ रहे हैं. हम बात कर रहे हैं झारखंड के जमशेदपुर जिले की.

इस जिले के आदिवासी बहुल इलाकों में होली की शुरुआत तो हो चुकी है लेकिन यहां होली पर रंग कहीं भी नजर नहीं आते. दरअसल यहां रंगों की बजाए पानी से होली खेली जाती है.

इस आदिवासी इलाके के लोगों का मानना है कि अगर कोई लड़का या लड़की रंग की होली खेलते हैं, या कोई भी एक-दूसरे पर रंग डालता है, तो उन्हें आपस में शादी करनी पड़ती है.

यहीं वजह है कि इस समाज के लोग रंगों से होली नहीं खेलते. इस समुदाय में यह प्रथा बरसों से चली आ रही है. बरसों से यहां होली रंगों से नहीं खेली जाती.

होली के दौरान यहां ढोल-बाजे के साथ लड़का-लड़की नाचते-गाते तो जरुरु है लेकिन रंग की जगह एक-दूसरे पर पानी डालते हैं. य आदिवासी होली के दिन से कुछ रोज पहले ही होली खेलना शुरू कर देते हैं.

यहां रात भर लोग एक-दूसरे पर पानी डालकर होली खेलते हैं और इस दौरान वो अपनी पारंपरिक वेशभूषा भी पहनते हैं. इस बार भी ये लोग कुछ ऐसा ही करेंगे रंगों के स्थान पर यहां पानी से होली मनाई जायगी.

पूरे भारत में होली ही एक ऐसा त्यौहार है जो धर्म और मजहब की सीमाओं को नहीं मानता. जो दिल से दिल का मेल करवाता है और आपके जीवन को हर्ष और उल्लास के तमाम रंगों से भर देता है.

लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहाँ रंगों से होली नहीं खेली जाती है. यहाँ लड़का-लड़की को एक दूसरे को रंग लगाना भारी भी पड़ सकता है.