यहाँ कोरोना लॉकडाउन के कारण टूटी सालो पुरानी परंपराएं, एक बेटी ने अपने पिता का किया अंतिम संस्कार

बिहार में लॉकडाउन के दौरान परंपराएं टूट रही हैं. इस लॉकडाउन में बच्चों के घर से बाहर रहने के कारण अंत्येष्टी (अंतिम संस्कार) में भी बच्चों का भाग लेना अथवा मृतक का चेहरा भी देख पाना कईयों को नसीब नही हो रहा है.

उसीरतह लॉकडाउन के बीच देहरादून से सुपौल पहुंच कर एक बेटी ने पिता का अंतिम संस्कार किया और अब वो पूरा कर्मकांड निभा रही है. देहरादून में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही योग्यता डीएम से परमिशन लेकर लॉकडाउन के बीच घर पहुंची. बताया जा रहा है कि सुपौल के रहने वाले समाजसेवी अश्विनी कुमार सिन्हा के निधन के बाद उनकी पुत्री योग्यता ने पिता को मुखाग्नि दी और वे अब सारा कर्मकांड निभा रही हैं. ‘

कहा जा रहा है कि देहरादून में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही योग्यता को पिता के निधन की खबर मिली तो जैसे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. योग्यता ने घर जाने के लिए वहां के डीएम से गुहार लगाई तो उसे अनुमति मिल गई. योग्यता हिम्मत बांध कर हजारों किलोमीटर दूर से अपने घर पहुंची. उसके बाद पिता का अंतिम संस्कार किया.