निर्भया के दोषियों को फंसी पर चढाने वाले पवन जल्लाद ने इस वजह से नहीं की मीडिया से बात, कहा:’कई घंटो तक वो मंजर…’

निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Gangrape Case) के चारों गुनहगारों को तिहाड़ कारागार (Tihar Jail) में फांसी हो चुकी है। उनके शवों को पोस्टमॉर्टम (Postmortem) के लिए भेज दिया गया है।

अब अगर देशवासियों की निगाहें किसी को तलाश रही हैं तो वो है पवन जल्लाद। पवन ने ही चारों लोगों को फांसी दी है। लेकिन फांसी के बाद पवन मीडिया (Media) से नहीं मिलना चाहता है। इसके पीछे भी उसने एक बड़ी वजह बताई है। यही वजह है कि समाचार लिखे जाने तक पवन कारागार से बाहर नहीं आया है।

तिहाड़ कारागार जाने से पहले से हुई वार्ता में पवन जल्लाद ने बताया था कि फांसी की तैयार रात एक बजे से शुरु हो जाती हैं। वैसे तो एक दिन पहले ही डमी फांसी देकर ट्रॉयल कर लिया जाता है, असल फांसी की तैयारी भी कई घंटे पहले करनी पड़ती है। फांसी देने के एक-डेढ़ घंटे पहले गुनहगारों से निगाहें मिलनी शुरु हो जाती हैं। मैंने आजतक ऐसा कोई नहीं देखा जो नॉर्मल रहता हो। इसके बाद उनके चेहरों पर काला कपड़ा डालना, पैरों को रस्सी से बांधना, गले में फंदा पहनाना यह सब कार्य करने होते हैं।

आखिर में लीवर खींचकर उन्हें फांसी पर लटका दिया जाता है। 5 घंटे का यह कार्य इतना दिमाग पर इतना हावी हो चुका होता है कि फांसी देने के कई-कई दिन बाद भी एक-एक वस्तु आंखों के सामने घूमती रहती है। गुनहगारों की आंखों से मेरी आंखों का मिलना, व क्या बताऊं कैसे-कैसे मंजरों का सामना करना पड़ता है। हकीकत पूछों तो इसके बाद किसी से बात करने का मन नहीं करता है। व फिर यहां तो चार लोग हैं।