चीन के लिए अपने नागरिकों को रुला रहा ये देश , रातो दिन कर रहा…

डाटा के अनुसार एक चीनी डेप्युटी चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर/ सीएफओ/ ग्रेड एल 2 के डायरेक्टर को प्रति महीने 1,36,000 सीएनवाई मिल रहे हैं जोकि 3.26 मिलियन रुपए के बराबर हैं।

यह तीन पोजीशनों पर चीनी कर्मी काबिज है । कोई भी पाकिस्तानी इन पदों पर कार्यरत नहीं है । एक चीनी अधिकारी जोकि डीजीएम रैंक पर है उसे 83,000 सीएनवाई प्रतिमाह मिलते हैं जोकि 1.9 मिलियन रुपए के बराबर होते हैं। एक पाकिस्तानी व्यक्ति जोकि डीजीएम के रैंक पर है उसे 6,25,000 रुपए मिलते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार 43 ऐसे चीनी है जो टेक्नीशियन और ट्रेन ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं और 47,500 सीएनवाई लगभग 1.13 मिलियन रुपओके बराबर सैलरी के रूप में प्राप्त करते हैं जबकि एक स्थानीय ट्रेन ऑपरेटर को 60,000 प्रतिमाह मिलते हैं।

पाकिस्तानी कर्मियों ने अपने चीनी समकक्षों के वेतन का हवाला देते हुए कई बार वेतन में बढ़ोतरी की मांग की है । इसी बीच पंजाब मास ट्रांजिट अथॉरिटी के जनरल मैनेजर (ऑपरेशन) उजेर शाह ने कहा कि चीनी और पाकिस्तानियों की वेतन की तुलना कभी भी नहीं की जा सकती।

पाकिस्तान के पंजाब मास ट्रांजिट अथॉरिटी फॉर ऑरेंज लाइन मेट्रो ट्रेन (OLMT) अपने चीनी स्टाफ को पाकिस्तानी स्टाफ की तुलना में बहुत ज्यादा वेतन दे रही है। इस तरह का भेदभाव पूर्ण रवैया पाकिस्तानी स्टाफ के मनोबल को ठेस पहुंचा रहा है ।

इसके अलावा चीनी स्टाफ को युआन में सैलरी दी जाती है जबकि पाकिस्तानियों को पाकिस्तानी रुपए में। एक डाटा के अनुसार ओएलएमटी के 93 चीनी कर्मियों की सैलरी का अध्ययन किया गया तो पता चला कि चीनी कर्मियों की सैलरी बहुत ज्यादा थी। पाकिस्तानी कर्मी जो चीनी कर्मियों के समकक्ष पद पर कार्यरत हैं, उनको अपने चीनी समकक्ष की तुलना में बहुत कम पैसे मिल रहे हैं।

पाकिस्तान किस तरह चीन के तलवे चाटने को मजबूर है, इसकी नई मिसाल है चीन की मदद चे शुरू की गई मैट्रों रेल। पाकिस्तान में मैट्रो शुरू होने से पहले इमरान खान सरकार का दावा था कि चीन के निवेश से स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां पैदा होंगी और उन्हें इसका फायदा मिलेगा । लेकिन अब इस दावे की असलियत नजर आने लगी है।

पाकिस्तानी अखबार द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान चीन को खुश करने किए अपने नागरिकों का मनोबल गिरा रहा है कारण है देश में चीन की मदद से शुरू हुई मेट्रो में चीनी स्टाफ को स्थानीय लोगों की तुलना में ज्यादा सैलरी दी जा रही है।