दिल्ली हिंसा में फंसी मुसलमान महिलाओं के साथ हुआ ये, जानकर काप उठे लोग

इंदिरा विहार के एक बड़े भीड़ वाले हॉल में, दंगों से बेघर हुई महिलाएं और बच्चे दरी और मैट पर बैठ हुए हैं. इनमें कई युवा महिलाएं हैं जिनके गोद में रोते हुए बच्चे हैं. कुछ छोटे बच्चे भी हैं जिन्होंने अभी चलना सीखा ही है और कुछ थोड़े बड़े बच्चे भी, जो समूह में खेल रहे हैं.

यह हॉल एक मुस्लिम कारोबारी का है, जो अब एक तरह से विस्थापित लोगों की शरणस्थली बन चुका है.

यहां पहुंची महिलाएं एवं बच्चे दंगा करने पर उतारू हिंदू भीड़ के हमले के बाद शिव विहार के अपने अपने घरों से जान बचाकर भागे हुए हैं. शिव विहार दिल्ली में हुए दंगा में सबसे प्रभावित इलाकों में एक है.

शिव विहार मुख्य रूप से कामकाजी हिंदुओं की बहुलता वाला इलाका है लेकिन यहां मुस्लिमों की आबादी भी ठीकठाक है. यह एक गंदे नाले से सटी हुई संकीर्ण गलियों वाली बस्ती है. इस नाले के साथ कुछ सौ मीटर आगे की दूरी पर मुस्लिम बहुल आबादी वाले चमन पार्क और इंदिरा विहार का इलाका है.

हिंदू और मुस्लिम बहुलता वाले इलाके को केवल एक सड़क अलग करती है. ये लोग यहां दशकों से शांतिपूर्ण ढंग से साथ साथ रह रहे थे लेकिन अब सबकुछ बदल गया है.

नसरीन अंसारी भी शिव विहार के अपने घर से भाग कर आई हैं. वह बताती हैं कि मंगलवार की दोपहर से उनके लिए मुश्किल वक्त का दौर शुरू हुआ जब घर पर केवल महिलाएं थीं. तब घर के पुरुष दिल्ली के दूसरे छोर पर मुस्लिमों के धार्मिक उत्सव में हिस्सा लेने गए हुए थे.

नसरीन बताती हैं, “हम लोगों ने 50-60 लोगों को देखा. मैं नहीं जानती थी कि वे लोग कौन थे. हमने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था. उन लोगों ने हमें कहा कि वे हमारी रक्षा के लिए आए हैं और कहा कि आप घरों में अंदर रहिए.”

नसरीन और दूसरी महिलाओं ने अपने घरों की खिड़कियों और बालकनी से उन्हें देखना शुरू किया तो थोड़ी ही देर में उन्हें एहसास हो गया कि ये लोग उनकी सुरक्षा के लिए नहीं आए थे.

नसरीन ने एक वीडियो मुझे दिखाया जो उन्होंने खिड़की के अंदर से ही बनाया था. इसमें कुछ पुरुष हेलमेट पहने और लंबी लंबी लाठियां रखे हुए दिखाई पड़ते हैं.

भारत की राजधानी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा ने एक बार फिर ज़ाहिर किया है कि किसी भी हिंसा में सबसे ज़्यादा प्रभावित महिलाएं और बच्चे होते हैं. बीबीसी संवाददाता गीता पांडे की रिपोर्ट.

उत्तरी पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है, इनमें हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल हैं. हिंसा के बाद हज़ारों मुस्लिम महिलाएं और बच्चे बेघर हो चुके हैं, उनके सामने भविष्य की अनिश्चितताएं हैं.