दिल्ली हिंसा : पुलिस को मिला ये बड़ा सबूत, यहाँ से आए इतने लोग

हिंसा (Delhi violence) के दौरान लापता हुए गुप्तचर ब्यूरो (In) के कर्मी अंकित शर्मा का क्षत-विक्षत मृत शरीर चांदबाग के नाले में पड़ा मिला था।

48 वर्षीय मदीना मंगलवार से लापता अपने बेटे को ढूंढ़ रही हैं। थक-हारकर वह जीटीबी अस्पताल के मुर्दाघर में अपने बेटे का मृत शरीर ढूंढ़ने पहुंचीं। उन्होंने कहा, ‘मैं कई पुलिस थानों में जा चुकी हूं।

उसका कोई पता नहीं चल रहा है। मुझे यह भी नहीं पता कि वह जिंदा भी है या नहीं। अगर वह मरे हुए लोगों में भी हुआ तो कम से कम मैं प्रयास करना छोड़ दूंगी।

नहीं तो मुझे हमेशा उम्मीद रहेगी कि वह एक न एक दिन लौट आएगा। ‘ बिजनौर के मोहम्मद कादिर भी अपने 18 वर्षीय भाई आफताब की तलाश में बुधवार से जीटीबी अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “वह उस दिन अपने दोस्तों से मिलने गया था। उसके दोस्तों ने मुझे बताया कि उनपर एक भीड़ ने हमला किया था। बाकी सब भाग गए।

उसे बुरी तरह से पीटा गया। कोई नहीं जानता कि उसके साथ क्या हुआ व वह कहां गया। मैंने कई बार पुलिस से सम्पर्क किया है, लेकिन उन्होंने मुझे हिंसा व आगजनी वाले इलाकों के पुलिस थानों में जाने को कहा।

मैंने प्रयास की, लेकिन यह बहुत डरावना है। ‘उत्तर-पूर्वी दिल्ली (North East Delhi) की हिंसा में लापता लोगों के परिजन अपने प्रियजनों के बारे में कोई समाचार नहीं मिलने से हताश हैं व हर गुजरते दिन के साथ उनका दुख बढ़ता जा रहा है।

वे किसी अनहोनी की संभावना से मुर्दाघरों के चक्कर लगा रहे हैं। बेटे की तलाश कर रहे 52 वर्षीय अफरोज का बोलना है कि वह अपने परिवार के सवालों के जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘उसकी डेड बॉडी नाले में ही मिले, कम से कम मुझे यह तो पता चल जाएगा की वह हमें छोड़कर चला गया है। मेरी बहू व पोती जब उसके बारे में पूछती हैं तो मेरे पास उनके सवालों का कोई जवाब नहीं होता है। ‘