कोरोना वायरस के मामले क्या चीन बना रहा सभी को बेवकूफ़, सामने आई ये रिपोर्ट

पश्चिमी मीडिया कहता रहा है कि वूहान की जानी-मानी जैविक शोध प्रयोगशाला में सूअरों और चमगादड़ों में कोरोना परिवार के विभिन्न वायरसों के पलने-बढ़ने के बारे में वर्षों से शोधकार्य हो रहे थे.

 

लंदन के दैनिक ‘डेली मेल’ ने लिखा कि ‘कोविड-19’ नाम की नयी विश्वव्यापी महामारी इसी प्रयोगशाला के आस-पास से फैली.

इस रिपोर्ट से चीन इस बुरी तरह बौखलाया कि चीनी विदेशमंत्री वांग यी ने ब्रिटेन के विदेशमंत्री डोमिनिक राब को तुरंत फ़ोन किया. कहा कि इस प्रकार की ”हानिकारक” रिपोर्टिंग का अतिशीघ्र अंत होना चाहिये.

चीन की सरकार चाहती है कि पत्रकार ही नहीं, वैज्ञानिक भी नये कोरोना वायरस की उत्पत्ति और प्रसार के बारे में कोई खोजबीन न करें.

सरकार ने नये सेंसरशिप निर्देश जारी किये हैं. इन निर्देशों के अनुसार, चीनी वैज्ञानिक ‘सार्स-कोव-2’ के उद्गम और प्रसार के बारे में जो कुछ प्रकाशित करना चाहेंगे, उसकी संबंद्ध मंत्रालय पहले जांच करेगा. मंत्रालय की आधिकारिक अनुमति के बिना ऐसी कोई सामग्री प्रकाशित नहीं की जा सकती.

विश्व जनमत की तरह ही चीनी शोधकर्ता भी आरंभ में यही मान रहे थे कि ‘सार्स-कोव-2’ वायरस वूहान के उस मछली बाज़ार से फैला, जहां समुद्री जीव-जंतुओं के अलावा ऐसे अन्य जीव-जंतु भी बेचे जाते हैं, जिन्हें चीनी बड़े चाव से खाते हैं.

चीन के ‘रोग-निरोधक और बचाव केंद्र’ के निदेशक गाओ फ़ू ने, 22 जनवरी को, एक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि यह नया कोरोना वायरस इसी बाज़ार में किसी जानवर के माध्यम से मनुष्यों तक पहुंचा. गाओ फ़ू के अनुसार, जिन लोगों को शुरू-शुरू में इस वायरस का संक्रमण लगा है.

उनमें से कुछ इसी बाज़ार में या तो काम कर रहे थे या वहीं उसके संपर्क में आये. 10 दिसंबर 2019 को बीमार पड़ी, झींगा बेचने वाली 57 वर्षीय वेई गुइच्यान नाम की एक महिला, इस संक्रमण का पहला शिकार बतायी जाती थी.

चीन से उपजे कोरोना वायरस ‘सार्स-कोव-2’ के कुल मामलों की संख्या 40 लाख को छूने वाली है. मौतों का आंकड़ा पौने तीन लाख के करीब पहुंच गया है.

चीन के व्यवहार से पश्चिमी देशों को अब इसमें कोई संदेह नहीं दिखता कि वह इस वायरस के उद्गम की सच्चाई छिपाने और दुनिया को बेवकूफ़ बनाने में लगा है.

चीन की सरकार अपने लोगों या विदेशियों की ओर से हर खोजबीन पर तिलमिला कर प्रतिबंध लगा देती है. लंदन स्थित चीनी दूतावास ने अप्रैल के मध्य में एक खुले पत्र में दावा किया कि पश्चिमी मीडिया का यह कहना सरासर ग़लत है कि यह वायरस वूहान की एक प्रयोगशाला में से लीक हो कर फैला था.