सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश में जारी किया ये, देख छूटे नेताओ के पसीने

संविधान निर्माताओं ने भी विधानमंडल के सुचारू संचालन और इसमें व्यापक विचार विमर्श की कल्पना की थी। पिछले दिनों लखनऊ में हुए कॉमनवेल्थ संसदीय संघ सम्मेलन का भी यही निष्कर्ष था।

 

 

पिछले तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश विधानमंडल में चर्चा का समय व स्तर बढा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठीक कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से बजट सत्र में इस सदन ने अपने समय पिछले पन्द्रह वर्षों में यह सदन सबसे लम्बी अवधि तक चला।

वस्तुतः इस प्रकार व्यापक रूप में चलने वाली कार्यवाही से प्रजातंत्र को मजबूती मिलती है। क्योंकि यहां सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को अपने विचार व्यक्त करने का सर्वोच्च मंच उपलब्ध होता है।

वैसे भी उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। दुनिया के केवल छह देश ही इससे बड़े है। ऐसे में यहां होने वाली विधायी कार्यवाही पर देश विदेश तक का ध्यान आकृष्ट होता है।

सदन की लंबी अवधि तक चलने वाली कार्यवाही से व्यापक उद्देश्यों की पूर्ति होती है। विपक्ष की सकारात्मक आलोचना से सरकार को अपनी कमियों को दूर करने की प्रेरणा मिलती है। इससे विपक्ष की भी प्रतिष्ठा बढ़ती है।

यह माना जाता है कि उसने अपनी जिम्मेदारी का उचित निर्वाह किया। सरकार जब अपनी कमियों को दूर करती है तब उसका आमजन को लाभ मिलता है।

योगी सरकार द्वारा पिछले वर्ष सदन के तीन विशेष सत्र भी बुलाए गए थे। यह अपने में एक रिकार्ड था। योगी ने विधानसभा अध्यक्ष से अधिक समय तक कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु सर्वदलीय कमेटी बनाने का अनुरोध किया। यह संसद की तरह विधान सभा की कार्यवाही के सुचारू व व्यापक संचालन पर रिपोर्ट दे।

योगी आदित्यनाथ ने विधायिका के बजट सत्र का सार्थक व मर्यादित उपयोग किया। उन्होंने विपक्ष की आलोचनाओं को धैर्य से सुना,उनका जबाब दिया।

राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और बजट पर हुई चर्चा का जबाब दिया। इस प्रकार उन्होंने अपनी सरकार उपलब्धियां भी बयान की।

सरकार तीन वर्ष पूरे होने पर अपना रिपोर्ट कार्ड भी जारी करेगी। योगी लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य भी रहे है। वह चाहते है .

संसद की तर्ज पर विधानमंडल में अधिक कार्यवाही संचालित करने पर विचार किया जाए। इसका यह भी निहितार्थ है कि उनकी सरकार किसी विषय पर चर्चा से बचना नहीं चाहती।