सीएम योगी ने बदला मायावती के बनाए रसिन बांध का नाम, फिर किया उद्घाटन

इसी महीने 10 मार्च को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट ज़िले में बाणगंगा नदी पर बने रसिन बांध का विधिवत तरीक़े से एक भव्य कार्यक्रम में लोकार्पण किया और दावा किया कि इससे बुंदेलखंड जैसे सूखे से ग्रस्त इलाक़े के कई गाँवों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी.

 

हालांकि इस बांध का निर्माण कार्य साल 2011 में ही पूरा हो गया था और यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उद्घाटन भी किया था. इतना ही नहीं, साल 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने भी यहां एक निरीक्षण भवन का उद्घाटन किया था. इसलिए बांध निर्माण के क़रीब दस साल के बाद लोकार्पण करने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

वैसे बांध से निकलने वाली दो नहरें अपनी क्षमता के हिसाब से किसानों की ज़मीन पिछले कई साल से सींच भी रही हैं. ये अलग बात है कि नहरों में पानी अक्सर नहीं रहता और आगे भी इनमें पानी रहेगा, इसे लेकर लोग आशंकित हैं.

बांदा और चित्रकूट ज़िलों की सीमा पर बने रसिन बांध के किनारे खड़े रघुवर सिंह ने ये बातें बांध के किनारे लगे नए साइन बोर्ड को निहारते हुए कहीं जिसमें लिखा है कि साल 2003 से शुरू हुई यह परियोजना साल 2019-20 में पूरी हुई.

इस साइन बोर्ड से ठीक पहले बांध के बारे में जानकारी देता जो बोर्ड लगा था, उसमें बांध का नाम ‘चौधरी चरण सिंह रसिन बांध परियोजना’ लिखा था लेकिन अब इसका नाम सिर्फ़ ‘रसिन बांध परियोजना’ रह गया है.

“बांध का नाम बदल गया है, दीवारें रँग गई हैं, नहरों के किनारे पौधे भी लग गए हैं, हेलीपैड भी बन गया है लेकिन खेतों की सिंचाई कितनी होगी, ये तो बाद में ही पता चलेगा. अब तक तो नहर सूखी ही रहती थी.”