भूटान के सूत्रों के मुताबिक चीन और भूटान के बीच पूर्वी इलाके में कभी भी सीमा विवाद को लेकर बातचीत नहीं हुई थी। दोनों पक्षों ने मध्य और पश्चिमी इलाके में सीमा विवाद को माना था।
यहां कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक पैकेज पर सहमति बनी थी। यदि चीन को पूर्वी सेक्शन में अपनी स्थिति वैधानिक लग रही थी कि तो उसे यह मुद्दा पहले उठाना चाहिए था।’
उधर, भूटान के एक विशेषज्ञ का कहना है कि यह पूरी तरह से चीन का नया दावा है। दोनों पक्षों के जिन दस्तावेजों पर साइन हुए हैं, उनमें केवल पश्चिमी और मध्य हिस्से में विवाद की बात कही गई थी।’
चीन के इस नए दावे पर भारत ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने भूटान के साथ पूर्वी इलाके में वास्तविक विवाद के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी।
इससे पहले चीनी ड्रैगन ने भूटान की एक नई जमीन पर अपना दावा ठोका था। चीन ने ग्लोबल इन्वायरमेंट फसिलिटी काउंसिल की 58वीं बैठक में भूटान के सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य की जमीन को ‘विवादित’ बताया।
साथ ही इस परियोजना को होने वाली फंडिंग का ‘विरोध’ करने का प्रयास किया। भूटान ने चीन के इस कदम का कड़ा विरोध किया और जमीन को अपना अभिन्न अंग बताया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने कहा कि भूटान के साथ उसका लंबे समय से पूर्वी, मध्य और पश्चिमी इलाके में सीमा विवाद है। चीन ने भारत की ओर इशारा करते हुए कहा कि किसी तीसरे पक्ष को चीन-भूटान सीमा विवाद में उंगली नहीं उठानी चाहिए।
चीन और भूटान ने वर्ष 1984 से लेकर 2016 के बीच में अब तक 24 दौर की बातचीत की है। इस दौरान बातचीत में केवल पश्चिम और मध्य इलाके के विवाद पर चर्चा हुई थी।
चीन ने आधिकारिक तौर पर पहली बारी स्वीकार किया है कि उसका भूटान के साथ पूर्वी सेक्टर में सीमा विवाद है। चीन की यह स्वीकारोक्ति के भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
दरअसल, भूटान की पूर्वी अरुणाचल प्रदेश से लगती है और इसी इलाके में अब चीन सीमा विवाद का दावा कर रहा है। चीन ने कहा है कि उसका भूटान के साथ कभी सीमा विवाद सुलझा नहीं है।