चीन ने नेपाल को उकसाया , करने को कहा ये…

चंपावत जिला प्रशासन की ओर से संवाद के जरिए मुद्दे को निपटाने के कोशिश भी किए गए.डीएम सुरेंद्र नारायण पांडेय व एसपी लोकेश्वर सिंह कब्ज़ा टकराव के बाद से नियमित रूप से कंचनपुर के सीडीओ और एसपी से फोन पर सम्पर्क करते रहे.

 

मगर नेपाल के अधिकारियों की ओर से बैठक की तिथि तक नहीं बताई गई. इधर हिंदुस्तान के कई पूर्व सैन्य ऑफिसर मानते हैं कि नेपाल का रवैया दोस्ती के रिश्तों पर दरार डालने वाला है. मगर नेपाल ये हरकत चाइना के उकसावे में कर रहा है.

नेपाल से लगी हिंदुस्तान की 1751 किलोमीटर लंबी सीमा चार राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल) से लगी है. इसमें 90 किमी की सीमा चंपावत जिले से लगी है.

बीते दो हफ्ते से टनकपुर से लगी ब्रहमदेव (नेपाल) से लगी नो मेंसलैंड में नेपाल की ओर से पौधरोपण के बहाने कब्ज़ा कर अविश्वास के बीज बोए जा रहे हैं.

भारत-नेपाल के बीच के अपनापन लिए रिश्तों की ये गौरवपूर्ण गाथा रही है. पर बीते कुछ वक्त से इन रिश्तों में बर्फ जमी है. छोटे भाई का दर्जा पाने वाले नेपाल की ओर से की जा रही कब्ज़ा की हरकतों ने रिश्तों पर बर्फ डालने का कार्य किया है. जानकार बताते हैं कि नेपाल की ये कारिस्तानी चाइना के उकसावे में कर रहा है. उसके इस कदम, इस नजरिए को नेपाल की जनता का समर्थन नहीं है.

दो देश होते हुए भी कभी ऐसा नहीं लगा कि हम भिन्न-भिन्न हैं. दोस्ती ऐसी कि नेपाल के नागरिक हिंदुस्तान की सीमा की हिफाजत के लिए सेना में भर्ती होते हैं व सांस्कृतिक, धार्मिक संबंध ऐसे कि सीमा बेमानी लगती है. आवाजाही इस कदर सरल कि न कोई पासपोर्ट न कोई वीजा.