लद्दाख में चीन ने चली ये नई चाल, भारी संख्या में सेना तैनात

9 अप्रैल को हुई दोनों सेनाओं की बातचीत को लेकर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि भारत को डि-एस्केलेशन और सीमा पर शांति को लेकर खुश होना चाहिए। पीएलए का ये बयान पैंगोंग त्सो झील के आस-पास के क्षेत्र को लेकर है जहां पर फरवरी में दोनों देशों ने डिसएंगेजमेंट को पूरा किया था।

बातचीत के बारे में जानने वाले लोगों का मानना है कि हालिया सैन्य वार्ता में कोई खास प्रगति नजर नहीं आ रही है क्योंकि चीनी पक्ष पहले से ही तैयार मानसिकता के साथ वार्ता में पहुंचा था और इसने शेष तनाव वाले क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट को लेकर रुख में कोई लचीनापन नहीं दिखाया है।

9 अप्रैल को भारत-चीन के बीच कॉर्प्स कमांडर स्तर की 11वें दौर की वार्ता चुशुल-मोल्डो के पास भारतीय सीमा में हुई थी। 13 घंटे तक चली इस बैठक के एक दिन बाद शनिवार को भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा था कि “दोनों पक्षों ने तनाव वाले क्षेत्रों हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग में सैनिकों के डिसएंगेजमेंट को लेकर विस्तार से वार्ता की और संयुक्त रूप से जमीन पर शांति कायम रखने, किसी भी तरह की घटना से बचने और बकाया मुद्दों को त्वरित तरीके से हल करने को लेकर सहमत हुए।”

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र शेष क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट और तनाव कम करने को लेकर हाल ही में हुई 11वें दौर की भारत-चीन सैन्य वार्ता के बाद चीन अब भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।

पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने कहा है कि भारत को डि-एस्केलेशन की वर्तमान सकारात्मक प्रवृत्ति और सीमा क्षेत्र में शांति की स्थिति को संजोना चाहिए। चीनी सेना इस बयान के जरिए 11वें दौर की वार्ता में खास प्रगति न होने का दोष भारत पर डालना चाहती है।