चीन की इस नापाक चाल पर भूटान ने कड़ा विरोध किया। भूटान ने चीन के इस दावे पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य भूटान का अभिन्न और संप्रभु हिस्सा है।
‘इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरे विवाद में रोचक बात यह रही कि यह वन्यजीव अभयारण्य कभी भी किसी वैश्विक फंडिंग का हिस्सा नहीं रहा है।
वहीँ पहली बार जब इस अभयारण्य को पैसा देने की बात आई तो चीन ने मौके को लपक लिया और जमीन पर अपना दावा ठोक दिया। चीन के विरोध के बाद भी काउंसिल ने प्रॉजेक्ट को अपनी मंजूरी दे दी।काउंसिल में चीन का जहां प्रतिनिधि है, वहीं भूटान का कोई सीधा प्रतिनिधि नहीं है।
इसके साथ ही इस परियोजना को होने वाली फंडिंग का ‘विरोध’ करने का प्रयास किया। भूटान ने चीन के इस कदम का कड़ा विरोध किया और जमीन को अपना अभिन्न अंग बताया।
चीन के दावे के उलट वास्तविकता यह है कि पिछले वर्षों में अभ्यारण्य की जमीन को लेकर कभी विवाद नहीं रहा था। हालांकि भूटान और चीन के बीच अभी सीमाकंन नहीं हुआ है।
चीन अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहा है, वो हर दिन कोई ना कोई पैंतरे से दूसरे देशों को परेशान करने में जुटा हुआ है. बता दें कि साउथ चाइना सी से लेकर लद्दाख तक दादागिरी दिखा रहे .
चीनी ड्रैगन ने अब भूटान की एक नई जमीन पर अपना दावा ठोका है। चीन ने ग्लोबल इन्वायरमेंट फसिलिटी काउंसिल की 58वीं बैठक में भूटान के सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य की जमीन को ‘विवादित’ बताया।