चीन ने इन दवाओं से कोरोना पर पाया काबू, जानकर छूट रहे लोगो के पसीने

डॉक्‍टर ने बताया कि चीन में नॉर्मल सलाइन के इस संयोजन को कम से कम छह हफ्तों के लिए हफ्ते में दो बार मरीजों को दिया गया।

 

इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि किसी मरीज को कोविड-19 मुक्त कहने के लिए परीक्षण कम से कम नौ बार किया जाना चाहिए। चीन में ऐसा ही किया जा रहा है। चीन में यह प्रक्रिया कारगर रही और यह भारत में भी काम करेगा। आटी-पीसीआर के माध्यम से कम से कम पांच परीक्षण तो होने ही चाहिए।

कोविड-19 शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर भी हमला बोल सकता है। चीन में कोरोना वायरस के एक मरीज की स्ट्रोक के चलते मौत हो गई। शव का परीक्षण करने पर धमनियों की सबसे अंदरूनी परत सूजी हुई मिली।

इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोना वायरस ने धमनियों की परत को प्रभावित किया है, जिसके चलते थक्के जम गए, परिणामस्वरूप शख्स को दिल का दौरा पड़ा। इसलिए यह कहा जा सकता है कि कोविड-19 सिर्फ श्वसन प्रणाली से जुड़ी हुई समस्या नहीं है।

शंघाई में बसे नोएडा के एक डॉक्‍टर ने बताया कि किस तरह से चीन ने कोरोना से जंग जीती। उन्‍होंने कहा कि चीन ने जिंक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का संयोजन कोरोना वायरस मरीजों पर किया, जिससे लोगों की जान बचाई जा सकी।

सेंट माइकल हॉस्पिटल में मेडिकल डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन डॉ. संजीव चौबे ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इस संयोजन को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है और इसके परिणामस्वरूप रोगी ठीक हो रहे हैं।

दुनिया को कोरोना वायरस देने वाले चीन ने इस महामारी पर अपने देश में लगभग काबू पा लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, चीन में मई के शुरूआत से अबतक केवल 111 मामलों की पुष्टि हुई है और 27 अप्रैल से तीन मौतें हुई हैं, जिससे यह पता चलता है कि संक्रमण के दर में गिरावट आई है।