अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद चीन और पाकिस्तान की नजर, कर सकता है ऐसा…

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की वापसी के बाद चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) की नजर देश के संसाधनों पर है. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि चीन और पाकिस्तान (China and Pakistan) अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था (Afghan economy) का फायदा उठाने की जल्दी में हैं.

इससे आने वाले भविष्य में दोनों मुल्कों को खासा फायदा होने वाला है. युद्धग्रस्त अफगानिस्तान भारी वित्तीय कठिनाइयों से गुजर रहा है. तालिबान के पास उन जटिल आर्थिक मुद्दों का सामना करने का अनुभव नहीं है, जिनका सामना गरीब देश कर रहा है.

अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक (Afghanistan’s central bank) के पूर्व प्रमुख भी देश की खस्ताहाल स्थिति के बीच देश छोड़कर भाग गए थे. हालांकि, हाल ही में तालिबान ने एक नया प्रमुख नियुक्त किया था.

बताया गया कि वित्तीय मुद्दों से निपटने वाले अधिकांश अफगान अधिकारियों के पास अब दोहरी नागरिकता है. ऐसे में उन्हें इस बात का डर है कि कुछ भी गलत होने पर तालिबान उनके साथ उनके परिवार से भी बदला ले सकता है. इन अधिकारियों द्वारा की गई कोई भी पहल यहां तक की कोई आइडिया या चर्चा जोखिम भरा काम हो सकता है.

इनसाइडओवर के अनुसार, ये पाकिस्तानी अधिकारियों की देश में पहुंच को बढ़ाने का काम करता है. पाकिस्तानी सेना ने तालिबान को पिछले महीने जीत हासिल करने में मदद की थी. ऐसे में उसकी भी भूमिका बढ़ सकती है.

इस बात की संभावना है कि अफगान अर्थव्यवस्था को चलाने या मार्गदर्शन करने के लिए पाकिस्तानी सेना के अधिकारी सामने आ सकते हैं. इसके अलावा, वो अफगान अर्थव्यवस्था चलाने के लिए मसौदा भी तैयार कर सकते हैं. स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश में इस्लामाबाद और बीजिंग पहले ही योजना बना चुके हैं. प्रारंभिक कदम इस्लामाबाद द्वारा हाल ही में उठाया गया था, जब इसने पाकिस्तानी रुपये में अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने की घोषणा की.

पाकिस्तानी वित्त मंत्री शौकत तरिन (Shaukat Tarin) ने पाकिस्तानी रुपये में व्यापार करने की वजह काबुल (Kabul) में डॉलर की कमी को बताया. उन्होंने हाल ही में निकासी के कारण खाली पड़े तकनीकी पदों को भरने के लिए तालिबान की मदद करने की भी पेशकश की.

वहीं, चीन ने भी तालिबान का लुभाना शुरू कर दिया है. हाल ही में चीन ने अफगान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने के लिए 31 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पेशकश की. बदले में तालिबान ने भी चीन के ‘बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) के साथ गठजोड़ में दिलचस्पी दिखाई है.