CBI के नि‍शाने पर आईं IAS चंद्रकला, अखिलेश यादव से भी हो सकती है पूछताछ

तेजतर्रार तेवरों के लिए मशहूर रहने वाली उत्तर प्रदेश की आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला अब करप्शन की आरोपों के कारण फिर से चर्चा में हैं। बी चंद्रकला सीबीआई के रडार पर आ गई हैं। उनपर खनन के ठेकों में गड़बड़ी करने का आरोप हैं। जिस वक्त उत्तर प्रदेश में ये गोरखधंधा चल रहा था राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और खनन विभाग खुद सीएम अखिलेश यादव के ही पास था। इस मामले में सीबीआई अखिलेश यादव से भी पूछताछ कर सकती है।

सीबीआई के अधिकारियों ने शनिवार को लखनऊ में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला के आवास पर छापेमारी की। बताया जा रहा है कि रेड के दौरान सीबीआई के अधिकारियों के चंद्रकला के घर से कुछ अहम दस्तावेज भी मिले। सीबीआई अधिकारी रेड के बाद बिना कुछ बोले बी चंद्रकला के आवास निकल गए, सपा सरकार में बार बार शाबासी पाने वाली और अपनी सख्त छवि के साथ साथ सोशल मीडिया पर सक्रियकता के लिए मशहूर आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला के आवास के अलावा सीबीआई ने एक साथ दिल्ली, लखनऊ, नोएडा, जालौन , हमीरपुर और कानपुर में कुल 14 जगहों पर सपा और बसपा नेताओं के घर भी छापेमारी की और महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए। हमीरपुर में बसपा नेता सत्यदेव दीक्षित के घर को सीबीआई छापेमारी के दौरान कुछ इस तरह से उलट पलट गई, छापेमारी के दौरान घर की सीलिंग और टाइल्स तक उखाड़ी गईं और टीम ने देर तक दस्तावेजों की जांच की। सीबीआई ने हमीरपुर में ही एसपी एमएलसी रमेश मिश्रा के यहां भी छापेमारी की। जालौन में बीएसपी नेता रामअवतार राजपूत और करन सिंह राजपूत के आवास पर भी इसी मामले में छापेमारी की गई।

लेकिन चुनावी मौसम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2012 से 2016 तक के खनन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की इस छापेमारी के कई सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं, क्योंकि  2012 से 2013 तक यूपी का खनन मंत्रालय तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के ही पास था। इस मामले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला के साथ, पूर्व सीएम और एसपी-बीएसपी के नेता सीबीआई के रडार पर आ गए हैं। 2008 बैच की आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला को पहली पोस्टिंग हमीरपुर में आईएएस अधिकारी के तौर पर की गई थी। आरोप है कि 2012 में उन्होंने सपा नेताओं को नियमों क अनदेखी करते हुए खनन के 60 पटटे जारी किए। जबकि प्रावधान ई टेंडर के जरिए स्वीकृति देने का प्रावधान है। 2015 में अवैध खनन पर कार्रवाई की मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 60 मौरंग खनन के पटटों को अवैध घोषित करते हुए रदद कर दिया। हाईकोर्ट ने अवैध खनन की शिकायतों के बाद ये पूरी जांच 28 जुलाई 2016 को सीबीआई को सौंप दी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने 7 प्राथमिक जांच  रजिस्टर की थी। ये जांच यूपी के 7 जिलों, फतेहपुर, देवरिया,सहारनपुर,कौशाम्बी,सिद्धार्थनगर, शामली और हमीरपुर  में हुई गड़बड़ियों के लिए की थी। सीबीआई की प्राथमिक जांच में शामली और कौशांबी में पिछले साल और हमीरपुर में 2 जनवरी को केस रजिस्टर कर लिया गया। ताजा छापेमारी हमीरपुर खनन घोटाले को लेकर की गई।

इस मामले में सीबीआई ने इन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है…

बी चंद्रकला (आईएएस अधिकारी)-  नियम के खिलाफ लीज के पट्टे जारी करने का आरोप

आदिल खान (लीज होल्डर ऑफ माइनिंग)- तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति  की सिफारिश पर आदिल को लीज पाए माइन देने का आरोप

मोइनुद्दीन (माइनिंग अधिकाई, लखनऊ)- छापेमारी में 12.5 लाख  कैश मिला और 1.8 किलो सोना मिला

रामअवतार सिंह( लीज होल्डर, रिटायर्ड क्लर्क)- छापेमारी में 2 करोड़ कैश 2 किलो सोना मिला

रमेश कुमार मिश्र- एमएलसी, समाजवादी पार्टी

रामाश्रय प्रजापति- तत्कालीन माइनिंग क्लर्क

संजय दीक्षित-  2017 में बसपा के टिकट से चुनाव लड़ा

सत्यदेव दीक्षित- संजय दीक्षित के  पिता

अम्बिका  तिवारी

करण सिंह

फिलहाल जिस वक्त यूपी में सपा-बसपा गठबंधन की बातें पक्की हो रही हैं, उसी वक्त एक ऐसे मामले में सीबीआई के छापे पड़ना, जिसकी आंच पूर्व सीएम अखिलेश यादव तक भी पहुंच सकती है, यूपी के सियासी माहौल को और गरमा रही हैं।