श्री कृष्ण की इस चीज़ के कारण सूरदास जी तन और मन से उनके प्रेम रस में डूबे रहते थे…

वैशाख शुक्ल पंचमी के दिन हिंदी के महान कवि और कृष्ण भक्त सूरदास जी का जन्म हुआ था। ये आंखों से देख नहीं सकते थे। बाल्काल से ही काव्य और संगीत में बहुत कुशाग्र थे। इनका नाम सर्वश्रेष्ठ कृष्ण भक्तों में लिया जाता है। आइए जानें, आखिर श्री कृष्ण में ऐसा क्या था जो ये तन और मन से उनके प्रेम रस में डूबे रहते थे।

जिस विद्वान ने वेदों का ठीक से अध्ययन किया हो और भगवान चैतन्य जैसे महापुरुषों से ज्ञान प्राप्त किया हो तथा यह जानता हो कि इन उपदेशों का किस प्रकार उपयोग करना चाहिए, वही यह समझ सकता है कि भौतिक तथा आध्यात्मिक जगतों के मूल श्रीकृष्ण ही हैं।

इस प्रकार के ज्ञान से वह भगवद्भक्ति में स्थिर हो जाता है। वह व्यर्थ की टीकाओं से कभी पथभ्रष्ट नहीं होता। सारा वैदिक साहित्य स्वीकार करता है कि कृष्ण ही ब्रह्मा, शिव तथा अन्य समस्त देवताओं के स्रोत हैं।