इस देश में लगी बुर्का पहनने पर रोक, 1000 मदरसों पर भी लगा ताला

कई श्रीलंकाई मुसलमान इस बात से सहमत हैं कि वहाबी प्रभाव बढ़ने से बहुसंख्यक बौद्ध सिंहली के साथ सदियों पुराने रिश्ते को बर्बाद किया जा रहा है और उन्हें क्षति हो रही है.

एक बौद्ध मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में अधिक विवरण साझा किए बिना वीरसेकरा ने कहा, ‘बुर्के का राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा प्रभाव है.’ उन्होंने कहा, ‘शुरुआती दिनों में हमारी कई मुस्लिम मित्र थीं.

हालांकि, मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों ने कभी बुर्का नहीं पहना. यह एक तरह का धार्मिक कट्टरपंथ है, जोकि हाल ही में सामने आया है. हम इस पर अवश्य प्रतिबंध लगाएंगे.’

श्रीलंका की आबादी करीब दो करोड़ बीस लाख है, जिनमें से मुस्लिमों की आबादी करीब 10 प्रतिशत है. इनमें से अधिकांश बिजनेस करते हैं और उनमें से अधिकतर काफी धनी हैं. राजधान कोलंबो में भी अधिकांश कारोबार मुस्लिम ही करते हैं.

श्रीलंका में अधिकांश मुस्लिम तमिल बोलते हैं और उनकी समान संस्‍कृति है. लेकिन वे खुद को तमिल नहीं मानते. उनका कहना है कि वे अलग हैं. इसके कारण 1990 में लिट्टे के प्रमुख रहे वी प्रभाकरण ने उनके उत्‍तर की ओर हटा दिया था. इसके कारण रातोंरात लाखों लोग बेघर हो गए थे.

हालांकि कुछ मुस्लिम संगठनों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. उनका दावा है कि बुर्का पहनना मौलिक अधिकार है और सरकार इसे बैन नहीं कर सकती है. श्रीलंकाई सरकार को डर है कि जब तक वह कड़ी कार्रवाई नहीं करती है.

तब तक समुदाय का कट्टरपंथ छोटे देश को धार्मिकता पर विभाजित करता रहेगा. बुर्का पर प्रतिबंध के अलावा सरकार ने पूरे द्वीप में 1,000 से अधिक मदरसों को बंद करने का भी फैसला किया है.

श्रीलंका (Sri Lanka) बुर्का (Burqa) पहनने और देश के 1,000 से अधिक मदरसों (Madrasa) को बंद करने की योजना बना रहा है. उसने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इन प्रतिबंधों की योजना को लेकर शनिवार को घोषणा की.

जन सुरक्षा मंत्री शरत वीरसेकरा ने कहा कि उन्होंने बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की मंत्रिमंडल की अनुमति मांगने के अनुरोध वाले कागजात पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए.