गिलोय एक बहुवर्षायु लता है. आयुर्वेद में इसको कई नाम से पुकारा जाता है जिनमें यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी मुख्य हैं. बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने के कारण इसका नाम अमृता भी है.
चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जड़ें जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं. बेल के कांड की ऊपरी छाल बहुत पतली, भूरे या धूसर रंग की होती है, जिसे हटा देने पर अंदर का हरा रंग साफ नजर आने लगता है.
पाचन में सुधार और आंत संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए गिलोय बहुत फायदेमंद होती है. रोजाना आधा ग्राम गिलोय के साथ आंवला पाउडर लेने से पाचन शक्ति मजबूत होती है. कब्ज के इलाज के लिए इसको गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए.
गिलोय की पत्तियां एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट के रूप में काम करती हैं और विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में मददगार हैं. गिलोय का रस शरीर में इंसूलिन की मात्रा को कंट्रोल में रखता है.
गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसके तनों में स्टार्च की भी अच्छी मात्रा मौजूद होती है.