अयोध्या केस : न्यायालय के सामने मुस्लिम पक्ष ने रखे ये तीन दावे, कहा अब हुआ भरोसा

अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि (Ram janam bhoomi)-बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) टकराव पर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है

वहीं इस दौरान न्यायालय ने मुस्लिम (Muslim) पक्ष की तमाम दलीलों का जिक्र करते हुए एएसआई (ASI) की रिपोर्ट्स को अहम माना है साथ ही न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष के उन तीन अहम दावों को भी खारिज कर दिया जिन्हें निर्णय से पहले निर्णायक माना जा रहा था

SC ने नहीं माना कि मस्जिद खाली जमीन पर बनी थी
सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि हम एएसआई की रिपोर्ट को नज़रअंदाज नहीं कर सकते खुदाई में निकले सबूतों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता वहीं न्यायालय ने अपने निर्णय में बोला है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी न्यायालय ने बोला कि मस्जिद के नीचे विशाल संरचना थी न्यायालय ने बोला कि जो कलाकृतियां मिली थीं, वह इस्लामिक नहीं थीं विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीजें प्रयोग की गईं हालांकि न्यायालय ने बोला कि नीचे संरचना मिलने से भी हिंदुओं के दावे को माना नहीं माना जा सकता न्यायालय ने ASI की रिपोर्ट पर भरोसा जताते हुए बोला कि इस पर संदेह नहीं किया जा सकता

नमाज पढ़ने के दावे को नहीं माना

मुस्लिम पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में दावा किया था कि वहां विवादित स्थल पर 1934 से 1949 तक नमाज पढ़ी जाती थी हालांकि, न्यायालय ने उसके इस दावे को नहीं माना दूसरी तरफ हिंदू पक्ष यह साबित करने में सफल रहा कि बाहरी चबूतरे पर लगातार हिंदुओं का अतिक्रमण था  वे वहां पूजा किया करते थे उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के एडवोकेट राजीव धवन ने बोला था कि टकराव भगवान के जन्मस्थान को लेकर है कि आखिर जन्मस्थान कहां है

मस्जिद के बनने की तारीख को न्यायालय ने नहीं दिया महत्व

शिया बनाम सुन्नी केस में एक मत से निर्णय आया है शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज कर दी गई है उन्होंने बोला कि मस्जिद कब बनी, इससे फर्क नहीं पड़ता 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्ति रखी गई एक आदमी की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने नमाज पढ़ने की स्थान को हम मस्जिद मानने से मना नहीं कर सकते जज ने बोला कि स्थान सरकारी जमीन है