अयोध्या केस: अवैध ढंग से रखी गयी मूर्ति, मुस्लिम पक्ष की ओर से जारी बहस

22वें दिन की सुनवाई आज होगी बुधवार को मुस्लिम पक्ष के एडवोकेट ने पक्ष रखा था धवन ने हिंदू पक्ष के दावे पर सवाल उठाते हुए बोला था कि क्या रामलला विराजमान (Ram Lalla Virajman) कह सकते हैं कि नहीं, उनका मालिकाना हक़ कभी नहीं रहा है राजीव धवन ने बोला कि दिसंबर 1949 में अवैध ढंग से इमारत में मूर्ति रखी गई इसे जारी नहीं रखा जा सकता

राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़ा की याचिका के दावे का विरोध करते हुए बोला था कि विवादित जमीन पर निर्मोही अखाड़े का दावा नहीं बनता, क्योंकि विवादित जमीन पर नियंत्रण को लेकर दायर उनका मुकदमा, सिविल सूट दायर करने की समय सीमा (लॉ ऑफ लिमिटेशन) के बाद दायर किया गया था धवन ने दलील दी थी कि 22-23 दिसंबर 1949 को विवादित जमीन पर रामलला की मूर्ति रखे जाने के करीब दस वर्ष बाद 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने सिविल सूट दायर किया था, जबकि सिविल सूट दायर करने की समय सीमा 6 वर्ष थी।  गौरतलब है कि निर्मोही अखाड़ा दलील दी थी कि उनके सिविल सूट के मुद्दे में लॉ ऑफ लिमिटेशन का उल्लंघन नहीं हुआ है, क्योंकि 1949 में तत्कालीन मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 145 के तहत टकराव जमीन को अटैच (प्रशासनिक कब्जे में) कर दिया था व उसके बाद मजिस्ट्रेट  ने उस विवादित जमीन को लेकर कोई आदेश पारित नहीं किया। निर्मोही अखाड़ा ने दलील दी थी कि जब तक मजिस्ट्रेट ने आखिरी आदेश पारित नहीं किया। लॉ ऑफ लिमिटेशन वाली 6 वर्ष की सीमा लागू नहीं होती।